मुझे तो शर्म आती, आपकी आत्मा कचोटती है या नहींःजावीद अहमद
कुछ लोगों के गलत आचरण के कारण अब भी पूरी पुलिस की छवि खराब हो रही। हमारी साख पर सवाल उठ रहे हैं तो हमें अपने आचरण की नई परिभाषा गढऩी होगी।
लखनऊ [जावीद अहमद]। प्रिय साथियों, करीब छह महीने बाद फिर आपसे बातें करने का मन कर गया। खुशी है कि जनवरी में लिखी मेरी चिट्ठी का सकारात्मक प्रभाव पड़ा और कुछ अच्छी खबरें सामने आयीं। हालांकि अब भी बड़े बदलाव की जरूरत लग रही, इसलिए यह एक और पत्र लिखा है आप लोगों को। कुछ लोगों के गलत आचरण के कारण अब भी पूरी पुलिस की छवि खराब हो रही। हमारी साख पर सवाल उठ रहे हैं तो हमें अपने आचरण की नई परिभाषा गढऩी होगी। आपको कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को भी न्याय दिला सकने की भावना व क्षमता अपने में विकसित करनी होगी।
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शासन ने आप सबके लिए इधर कई अच्छे काम किये किंतु तब भी आम आदमी के हृदय में पुलिस की छवि अच्छी क्यों नहीं है। हाल ही में न्यायालय में पेशी पर ले जाते समय लापरवाही से अभियुक्त भाग गए। ऐसा जानबूझकर किया गया। उस मामले में गार्ड और एस्कार्ट रूल्स का या तो पालन नहीं किया गया या आरक्षियों की साठ-गांठ से ऐसा हुआ। बावर्दी पुलिसकर्मियों के नाचते हुए, शराब पीकर बेसुध पड़े होने, सार्वजनिक झगड़े, संयम खोकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों से अभद्रता के सोशल मीडिया पर वायरल हुए दृश्यों को मैं याद नहीं करना चाहता लेकिन, चौराहों पर आप द्वारा घूस लेना कचोटता है। पता नहीं ये दृश्य आपकी आत्मा को झकझोरते हैं या नहीं। आप सोचें, जिसने भी इन दृश्यों को देखा, उसके मन में हमारे प्रति क्या धारणा बनी होगी।
स्कैन हो रहा हमारा आचरण
आजकल आमजन भी मीडिया है, उनके हाथ में स्मार्ट फोन हैं जिनसे हमारा आचरण हर घड़ी स्कैन किया जा रहा है, इसलिए आपको बहुत सावधान रहना चाहिए। उनका यह करना उचित भी है। यह तो हमें तय करना है कि हम उन्हें कैसे नजर आएं-अशोभनीय घटनाओं के पात्र या ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करने वाले नायक के रूप में।
दब जाते अच्छे काम
ध्यान रखें, नकारात्मक छवि वाली घटनाएं उन पुलिसकर्मियों का मनोबल तोड़ती हैं जो मौन रहकर अपने परिश्रम से विभाग को बुलंदियों पर ले जाना चाहते हैं। सराहनीय काम अमर्यादित घटनाओं की बलि चढ़ जाता है। मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसी अमर्यादित घटनाओं से आहत हुआ हूं।
नई तकनीक अपनाएं
आप सब नई तकनीक की आदत डालें। आधुनिक डायल-100 एक उदाहरण है। हमें सेवा प्रदाता की नई आधुनिक सोच से सम्बद्ध होना पड़ेगा क्योंकि हमसे समाज की अपेक्षाएं भी बदल रही हैं।
(लेखक उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख हैं)