दिल्ली-सहारनपुर कागजी हाईवे निर्माण की जांच सीबीआइ को
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्टेट हाईवे अथॉरिटी में घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी कर ली है।योगी सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। भ्रष्टाचार पर 'जीरो टालरेंस की नीति की दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। दिल्ली-सहारनपुर से यमुनोत्री (एनएच-57 पर) हाईवे के निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और 14 बैंकों से 600 करोड़ का ऋण हड़पने की जांच सीबीआइ से कराने की केंद्र सरकार से संस्तुति की है।
वर्ष 2011 में तत्कालीन बसपा सरकार ने दिल्ली-सहारनपुर से यमुनोत्री तक 206 किलोमीटर लंबा हाईवे निर्माण का फैसला लिया। इसके लिए राज्य राजमार्ग प्राधिकरण का गठन किया गया। एक अगस्त 2011 को हाईवे निर्माण का ठेका हैदराबाद की मेसर्स एसईडब्ल्यू-एसएसवाई हाईवेज लिमिटेड को दिया गया। उस समय प्रोजेक्ट की निर्माण लागत 1735 करोड़ रुपये आंकी गई थी जो बढ़कर साढ़े सात सौ करोड़ हो गई।
ठेके का अनुबंध होने के बाद कंपनी के प्रबंधकों व प्रमोटरों ने 14 बैंकों से करीब 600 करोड़ रुपये ऋण लिया मगर कई साल बाद भी सिर्फ 13 फीसद कार्य किया गया, जबकि कागजों में सड़क का निर्माण पूरा होना दिखाया गया। समाजवादी सरकार के शुरुआती वर्ष में इस प्रकरण को लंबित रखा गया। 25 जुलाई, 2016 को इस कंपनी को डिफाल्टर घोषित कर कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की गई।
विभूति खंड थाने में दर्ज है एफआइआर
योगी सरकार ने नए सिरे से जांच कराई। घोटाले में प्राधिकरण के अधिकारियों के अलावा, बैक अफसरों के भी शामिल होने के संकेत मिले थे। प्राधिकरण की ओर से 16 मई को कंपनी के चार निदेशक, बैंक अफसरों समेत 18 लोगों के खिलाफ लखनऊ के विभूति खंड थाने एफआइआर दर्ज कराई गई।
'सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। बैैंकों का धन भी हड़प लिया गया। दिल्ली-सहारनपुर निर्माण में घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की केंद्र सरकार से संस्तुति की गई है।
-अवनीश अवस्थी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य राजमार्ग प्राधिकरण
'लखनऊ के विभूति खंड थाने में दिल्ली-सहारनपुर मार्ग के निर्माण में सरकारी धन के गबन का मामला दर्ज हुआ था, सरकार ने इस मामले की सीबीआइ जांच कराने की केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से संस्तुति की है
- अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव गृह