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हाईकोर्ट के नए भवन में शुरू हुआ काम-काज, राज्यपाल- मुख्यमंत्री शामिल

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के नए भवन में आज से काम-काज शुरू हो गया। राज्यपाल- मुख्यमंत्री शामिल न्यायाधीश व अन्य न्यायमूर्तिगण कोर्ट परिसर पहुंचे।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2016 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2016 09:10 PM (IST)
हाईकोर्ट के नए भवन में शुरू हुआ काम-काज, राज्यपाल- मुख्यमंत्री शामिल

लखनऊ (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के नए भवन में आज से काम-काज शुरू हो गया। राज्यपाल- मुख्यमंत्री शामिल न्यायाधीश व अन्य न्यायमूर्तिगण कोर्ट परिसर पहुंचे। यहां राज्यपाल का स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर से दिया गया। परिसर के केंद्रीय लॉन में झंडारोहण और राष्ट्रगान का आयोजन किया गया। राज्यपाल व मुख्यमंत्री की वापसी के बाद मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में रेफरेंस होगा। पौने ग्यारह बजे से अदालतों में विधिवत न्यायिक कामकाज शुरू हो जाएगा।

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लाल इमारत को कहा - बाय-बाय
कैसरबाग स्थित एक सदी से अधिक पुरानी लाल इमारत को सोमवार को न्यायमूर्तिगण व अधिवक्ताओं ने अलविदा कह दिया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का काम मंगलवार से गोमती नगर स्थित नई इमारत में शुरू हो जाएगा। विदाई समारोह के तौर पर मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में आयोजित फुल कोर्ट रेफरेंस में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बाबा साहेब भोसले ने इसे खुशी और भावुकता का पल ठहराते हुए कहा कि इस इमारत के साथ इतिहास के महान पल जुड़े हैं।

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मुख्य न्यायमूर्ति ने संबोधन में निवर्तमान इमारत से जुड़े इतिहास की भी चर्चा की। उन्होंने यहां से जुड़े रहे प्रसिद्ध अधिवक्ताओं को भी याद किया। उन्होंने कहा कि यहां प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता न सिर्फ प्रदेश के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी बने। कार्यक्रम को अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल दीक्षित, महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह और केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय ने भी संबोधित किया। पांडेय ने खास तौर पर जिक्र किया कि भविष्य में इस इमारत का इस्तेमाल हाईकोर्ट से नीचे के स्तर की किसी संस्था के लिए न किया जाए।

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उन्होंने इमारत को संग्रहालय में परिवर्तित करने की भी सलाह दी। आयोजन के दौरान अधिवक्ता भी इमारत से जुड़ी अपनी यादों को लेकर भावुक थे। इसी इमारत में बैठकर पूर्व जजों द्वारा दिए गए विभिन्न ऐतिहासिक फैसलों को भी याद किया गया। वहीं हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने परिसर स्थित मंदिर में मानस पाठ किया और भंडारे का भी आयोजन किया गया। कई अधिवक्ता इस दौरान इमारत के विभिन्न स्थानों से सेल्फी लेते भी नजर आए।

पहले दिन हुई परेशानी

नए परिसर में कामकाज के पहले दिन अधिवक्ताओं और उनके लिपिकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई वकील तो नए भवन की सही लोकेशन न जानने के कारण समय पर नहीं पहुंच सके, जबकि भवन के भीतर कार्यालयों का पता न होने से अधिवक्ताओं को भी कठिनाई हुई। अधिवक्ताओं का कहना था कि परिसर काफी बड़ा है, इसलिए कुछ दिन तो इसे समझने में ही लग जाएंगे। हालांकि सुबह करीब 11:15 बजे जब न्यायिक कामकाज शुरू हुआ तो अधिवक्ता और न्यायमूर्तिगण अपने काम में ऐसे रम गए, जैसे इसी जगह पर वे हमेशा से काम करते रहे हों।

16 न्यायालयों में सुनवाई

हाईकोर्ट के नए भवन में पहले दिन कुल 16 न्यायालयों में सुनवाई हुई। कॉजलिस्ट के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में मुख्य न्यायमूर्ति दिलीप बी.भोसले व न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने मुकदमों की सुनवाई की। कोर्ट नंबर एक में वरिष्ठ न्यायमूर्ति एपी शाही व न्यायमूर्ति डॉ.विजयलक्ष्मी, दो में न्यायमूर्ति एसएस चौहान व न्यायमूर्ति उमेश चंद्र श्रीवास्तव, तीन में न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला व न्यायमूर्ति अनंत कुमार, चार में न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन, पांच में न्यायमूर्ति डीके अरोड़ा, छह में न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी, सात में न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय, आठ में न्यायमूर्ति एएन मित्तल, नौ में न्यायमूर्ति अजय लांबा व न्यायमूर्ति रवींद्र नाथ मिश्र (द्वितीय), 10 में न्यायमूर्ति अनिल कुमार व न्यायमूर्ति अनिल कुमार श्रीवास्तव, 11 में न्यायमूर्ति एएम थिप्से, 12 में न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल, 13 में न्यायमूर्ति रंजना पांड्या, 17 में न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव और कोर्ट नंबर 18 में न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने मुकदमों की सुनवाई की।


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