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गुमनामी बाबा ही थे सुभाषचंद्र बोस : राजश्री चौधरी

नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पौत्री राजश्री चौधरी ने रामभवन में 1983 से 85 के बीच अज्ञातवास पर रहे गुमनामी बाबा को नेताजी सुभाषचंद्र बोस बताया। इस सच्चाई को सिद्ध करने के लिए उन्होंने 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू विमान दुर्घटना में नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच करने

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2016 08:28 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2016 10:25 AM (IST)
गुमनामी बाबा ही थे सुभाषचंद्र बोस : राजश्री चौधरी

लखनऊ। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पौत्री राजश्री चौधरी ने रामभवन में 1983 से 85 के बीच अज्ञातवास पर रहे गुमनामी बाबा को नेताजी सुभाषचंद्र बोस बताया। इस सच्चाई को सिद्ध करने के लिए उन्होंने 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू विमान दुर्घटना में नेताजी की कथित मौत के मामले की जांच करने वाले मुखर्जी आयोग को फिर से सक्रिय करने की मांग की, ताकि गुमनामी बाबा के अज्ञातवास की सच्चाई पूरी तरह उजागर हो सके।

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रामभवन में मीडिया से मुखातिब राजश्री ने कहा कि वर्ष 2006 में मुखर्जी आयोग ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की वह जल्दबाजी में पूरी की गई। इसके बावजूद आयोग के रिपोर्ट से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उसमें गुमनामी बाबा की नेताजी होने की संभावनाओं से इनकार किया गया है। उन्होंने गुमनामी बाबा को नेताजी समझे जाने का सबसे बड़ा कारण हस्तलिपि विशेषज्ञ बीबी लाल की उस रिपोर्ट को बताया, जिसमें गुमनामी बाबा की हस्तलिपि को नेताजी का बताया है। राजश्री ने कहा कि नेताजी की तरह गुमनामी बाबा का काली और रामकृष्णदेव का उपासक होना, हिमालयन ब्लंडर जैसी अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं युद्ध नीति पर केंद्रित प्रतिनिधि पुस्तक के पृष्ठ पर उनका नेहरू की भूमिका को लेकर टिप्पणी लिखना एवं गुमनामी बाबा के प्रति नेताजी की भतीजी ललिता बोस का रुख भी बहुत कुछ इशारा करता है। उन्होंने ललिता बोस से अपने रिश्तों का हवाला भी दिया और कहा कि यदि गुमनामी बाबा से नेताजी की अभिन्नता प्रभावी न होती तो ललिता बोस 1986 में ही हाई कोर्ट में वह याचिका न दाखिल करतीं, जिस पर बाबा का सामान जिला कोषागार में संरक्षित किया गया। राजश्री ने यह सवाल भी उठाया कि गुमनामी बाबा यदि नेताजी नहीं थे तो एक साधु के पास से नेताजी से जुड़ी प्रचुर सामग्री, नेताजी की मौत की जांच करने वाले आयोगों की रिपोर्ट एवं नेताजी की परिवारिक तस्वीर होने का क्या औचित्य हो सकता है? उन्होंने यह दावा किया कि जवाहरलाल नेहरू एवं उन्हें सत्ता हस्तांतरित करने वाले अंतिम गवर्नर जनरल माउंट बेटेन तथा तत्कालीन टॉप लीडरशिप नेताजी को अज्ञातवास पर रहने को मजबूर करने की साजिश रच रहा था।

गुमनामी बाबा की समाधि पर दी श्रद्धांजलि

नेताजी की प्रपौत्री ने सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति ङ्क्षसह के साथ डीएम योगेश्वरराम मिश्र से भेंट की और हाईकोर्ट के आदेशानुसार कोषागार में संरक्षित बाबा की सामग्री संग्रहालय में संरक्षित करने की मांग की। उन्होंने जिलाधिकारी के रुख पर संतोष जताया और शीघ्र ही बाबा की सामग्री संग्रहालय में संरक्षित-प्रदर्शित होने की उम्मीद जतायी। वह गुप्तारघाट स्थित गुमनामी बाबा की समाधि पर भी गईं और कुछ पल मौन रहकर पुष्पार्चन के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की।

विवाहित नहीं थे नेताजी

राजश्री चौधरी नेताजी के भांजे प्रभात सरकार की बेटी स्वप्ना सरकार की पुत्री हैं। प्रभात सरकार नेताजी की बहन स्नेहलता के पुत्र थे। राजश्री ने नेताजी के विवाहित होने की बात इनकार किया। कहा कि सरकार इस बात की जांच कराए।


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