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विधायक उमा शंकर तथा बजरंग बहादुर बर्खास्त

उत्तर प्रदेश में राज्यपाल रामनाईक ने बसपा विधायक उमा शंकर सिंह और भाजपा विधायक बजरंग बहादुर सिंह की सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया। दोनों विधायकों की सदस्यता उनके निर्वाचन के वर्ष 2012 की तिथियों से समाप्त की गई है। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने सदस्यता समाप्त करने की संस्तुति

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 02:25 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 07:14 PM (IST)
विधायक उमा शंकर तथा बजरंग बहादुर बर्खास्त

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में राज्यपाल रामनाईक ने बसपा विधायक उमा शंकर सिंह और भाजपा विधायक बजरंग बहादुर सिंह की सदस्यता समाप्त करने का आदेश दिया। दोनों विधायकों की सदस्यता उनके निर्वाचन के वर्ष 2012 की तिथियों से समाप्त की गई है। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने सदस्यता समाप्त करने की संस्तुति के लगभग एक साल पहले की थी।

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भारत निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के विधान सभा चुनाव के बाद छह मार्च 2012 को विधायकों को निर्वाचित घोषित किया था। राजभवन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बलिया की रसड़ा सीट से पहली बार विधानसभा पहुंचे उमा शंकर सिंह को उनकी निर्वाचन की तिथि छह मार्च 2012 तथा महाराजगंज की फरेंदा सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए बजरंग बहादुर सिंह को 15 अक्टूबर 2012 की तिथि से विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। राज्यपाल ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की अधिसूचना राजकीय गजट में अविलंब प्रकाशित कराई जाए।

मौजूदा विधान सभा के लिए चुने गए उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का कार्य करते आ रहे थे जबकि बजरंग बहादुर सिंह विधायक चुने जाने के बाद सड़क निर्माण का ठेका लोक निर्माण विभाग से 15 अक्टूबर, 2012 को लिया था। निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल राम नाईक ने उमाशंकर को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च 2012 से व बजरंग बहादुर को ठेका लेने की तिथि 15 अक्टूबर, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया है। नाईक ने मुख्य सचिव को सदस्यता समाप्ति के आदेश को तत्काल राजकीय गजट में प्रकाशित कराने के निर्देश दिए है। विदित हो कि लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने सरकारी ठेके लेने के आरोप में दोनों विधायकों को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी थी जिसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यपाल राम नाईक को भेज दिया था। राज्यपाल ने आज इनको बर्खास्त कर दिया।

राज्यपाल राम नाईक ने आदेश की प्रति भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली, विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजते हुए मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन को सदस्यता समाप्ति के आदेश को राजकीय गजट में अविलम्ब प्रकाशित कराये जाने के लिए भी निर्देशित किया है।

दोनों विधायकों के प्रकरण में उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने सरकारी ठेका लेने के आरोप में विधायक, उमाशंकर सिंह तथा विधायक बजरंग बहादुर सिंह को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जांच रिपोर्ट प्रेषित की थी जिसे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दिया था। राज्यपाल ने प्रकरण भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत के लिए संदर्भित कर दिया था। भारत निर्वाचन आयोग से इसी तीन जनवरी को अभिमत मिलने के बाद दोनों विधायकों ने राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय देने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने विधायकों से 16 जनवरी, 2015 को अलग-अलग भेंट कर उनका पक्ष सुना था।

जनता की अदालत पर भरोसा: बजरंग बहादुर

राज्यपाल द्वारा विधानसभा की सदस्यता समाप्त किये जाने के बारे में फरेन्दा के भाजपा विधायक (अब पूर्व)बजरंग बहादुर सिंह का कहना है कि सदस्यता समाप्ति के फैसले के विरोध में वे न्यायालय जाएंगे। उन्हें न्यायालय व जनता की अदालत पर पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा।


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