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आतंकियों को कारतूस सप्लाई में कानपुर के चार गनहाउस की गतिविधियां संदिग्ध

हथियार भले ही अपराधियों और आतंकियों के हों, लेकिन उन्हें कारतूस मुहैया कराने वाले कानपुर में ही जमे हैं। राघवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी ने इसकी पुष्टि फिर कर दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 10:40 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 11:28 PM (IST)
आतंकियों को कारतूस सप्लाई में कानपुर के चार गनहाउस की गतिविधियां संदिग्ध
आतंकियों को कारतूस सप्लाई में कानपुर के चार गनहाउस की गतिविधियां संदिग्ध
कानपुर (जेएनएन)। हथियार भले ही अपराधियों और आतंकियों के हों, लेकिन उन्हें कारतूस मुहैया कराने वाले कानपुर में ही जमे हैं। संदिग्ध आतंकियों को कारतूस सप्लाई करने वाले राघवेंद्र सिंह की गिरफ्तारी ने इस बात की पुष्टि एक बार फिर कर दी। एटीएस ने कारतूस सप्लाई में चार गन हाउस की संलिप्तता के शक पर जांच पड़ताल तेज कर दी है। दूसरी ओर राघवेंद्र को कारतूस बेचने वाले खन्ना और सेवा गन हाउस का लेखाजोखा खंगाल रही है। इसके लिए एसटीएफ के साथ एटीएस भी सक्रिय हो गई है। कारतूस सप्लायरों के नेटवर्क में कौन-कौन लोग शामिल हैं और उनकी जड़ें कहां तक हैं, इसकी छानबीन शुरू कर दी है। इससे पहले भी एटीएस ने नक्सलियों को कारतूस सप्लाई में शहर के दो गन हाउस मालिकों पर कार्रवाई की थी। 
सभी दुकानों का ब्यौरा होगा चेक
कानपुर में लाइसेंसी शस्त्र की 124 दुकानें हैं। सर्वाधिक दुकानें कोतवाली क्षेत्र में हैं। इसमें से चार के मालिकों से बिहार के सफेदपोश व संदिग्ध लोगों के संपर्क होने होने की बात सामने आई है। ये दुकान मालिक बिना लिखा पढ़ी के उन्हें कारतूस सप्लाई कर रहे हैं। यह बात उनके सप्लाई रजिस्टर की जांच पड़ताल में सामने आई है। इससे पहले भी शहर की एक दुकान में लखनऊ से आए कारतूसों के बीच रास्ते में गायब होने का मामला सुर्खियों में आया था, लेकिन आज तक कोई जानकारी नहीं हुई। ताजी घटना के बाद एटीएस अब उस मामले की भी खोजबीन में जुट गई है।
पांच लाख रुपये में दिए थे कारतूस
एटीएस सूत्रों के मुताबिक संदिग्ध आतंकियों को डेढ़ हजार कारतूस सप्लाई करने के एवज में राघवेंद्र ने पांच लाख रुपये लिए थे। तीन बार में आतिफ, फैसल और एक बिचौलिए को कारतूस देने थे। राघवेंद्र करीब सात सौ कारतूस उन्हें सप्लाई कर चुका था। चौथी खेप देने से पहले ही संदिग्ध आतंकी एटीएस के हत्थे चढ़ गए। राघवेंद्र का मुख्य व्यापार ज्वेलर्स का था जिसकी पुश्तैनी दुकान पहले बिल्हौर में थी। इसी दौरान एक एक हिंदी दैनिक अखबार के साथ उसने शस्त्र दुकान का लाइसेंस हासिल कर लिया। वह मीडिया की आड़ में कारतूस से लेकर लोगों के शस्त्र लाइसेंस, शैक्षिक प्रमाणपत्र और अन्य दो नंबर के धंधे करने लगा। उससे जुड़े लोगों के विषय में अब पड़ताल की जा रही है।

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