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यूपी में पकड़ा गया मतदाताओं का गड़बड़झाला

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बाजी मारने के लिए बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बनाए जा रहे हैं। इसमें मतदाता के गड़बड़झाला का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई ग्राम पंचायतों की कुल आबादी के 85 फीसद से अधिक वोटर पाए गए हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 11:38 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 11:44 AM (IST)
यूपी में पकड़ा गया मतदाताओं का गड़बड़झाला

लखनऊ(अजय जायसवाल)। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बाजी मारने के लिए बड़ी संख्या में फर्जी मतदाता बनाए जा रहे हैं। इसमें मतदाता के गड़बड़झाला का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई ग्राम पंचायतों की कुल आबादी के 85 फीसद से अधिक वोटर पाए गए हैं। बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के होने की आशंका के मद्देनजर राज्य निर्वाचन आयोग ने जांच कर उन्हें मतदाता सूची से बाहर करने के लिए जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। इस मामले में हीला-हवाली करने वाले जिलाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी आयोग ने मुख्य सचिव को दिए हैं।

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उत्तर प्रदेश में 8,85,819 पंचायत प्रतिनिधियों के विभिन्न पदों के लिए होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ज्यादातर जीत-हार का अंतर महज कुछ वोट होते हैं। कुल 59,163 ग्राम पंचायतों में से करीब 26 हजार ऐसी हैं जिनकी कुल आबादी दो हजार से भी कम है। इनमें 220 की आबादी तो एक हजार से भी कम है। ऐसे में ग्राम प्रधान से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य पद का चुनाव लडऩे वालों में अधिकांश की कोशिश रहती है कि मतदाता सूची में ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं के नाम शामिल करा लें। सूची बनाने वाले से मिलकर या गलत जानकारी देकर कई ग्राम पंचायतों की सूची में एक ही व्यक्ति के नाम दर्ज करा लिए जाते हैं। शहरी क्षेत्र या विदेश में रहने के बावजूद गांव में रहने वाले परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सूची में अपना नाम शामिल करा लेते हैं।

सूची में फर्जी नाम शामिल कराने के मामले का खुलासा तब हुआ जब आयोग इन दिनों 2010 की मतदाता सूची के वृहद पुनरीक्षण का कार्य कर रहा है। डी-डुप्लीकेट साफ्टवेयर के जरिए मतदाता सूची की ब्लाकवार जांच करने पर सूची में लगभग तीन फीसद नाम फर्जी पाए गए हैं। जिलों में सूची को पुनरीक्षित करने के चल रहे काम की ऑनलाइन मॉनीटरिंग कर रहे राज्य निर्वाचन आयोग के अपर आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक 4218 ग्राम पंचायतें ऐसी पकड़ में आई हैं जहां की कुल आबादी के 85 फीसद से अधिक मतदाता बने हैं। मसलन, आजमगढ़ की 191, सुल्तानपुर की 164, देवरिया की 149, बुलंदशहर की 184, फतेहपुर की 131, कानपुर देहात की 125, बलिया की 112, अमेठी की 107, बस्ती की 107, कानपुर नगर की ही 102 पंचायतें हैं। जनगणना-2011 के मुताबिक सूबे की कुल आबादी 19.98 करोड़ में से लगभग 15.58 करोड़ ग्रामीण आबादी है। इनमें 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले जो मतदाता हो सकते हैं उनकी आबादी तकरीबन 57.5 फीसद ही है। भारत निर्वाचन आयोग की वर्ष 2015 की मतदाता सूची में भी कुल आबादी का 65 फीसद ही मतदाता हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 के पंचायत चुनाव की मतदाता सूची में 11.15 करोड़ मतदाता थे जो कि तब की कुल आबादी का 71.9 फीसद थे।

इस घोटाले की बाबत अपर आयुक्त का कहना है कि जिलाधिकारी को पहले-पहल खासतौर से 85 फीसद से ज्यादा वोटर वाली ग्राम पंचायतों के मतदाताओं की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि कुल आबादी का 85 फीसद वोटर अविश्वसनीय है। वर्मा ने बताया कि गहनता से फर्जी मतदाताओं के पकड़े जाने से चुनाव में 12 करोड़ से कम ही मतदाताओं के रहने का अनुमान है। अनन्तिम रूप से आठ अगस्त को और अंतिम रूप से 31 अगस्त को मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।

गौर करने की बात यह है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी दूर करने के काम में हीला-हवाली के संबंध में डीएम के खिलाफ कार्रवाई के लिए आयोग द्वारा मुख्य सचिव को भी पत्र लिखे जा रहे हैं। देवरिया के पांच फीसद ग्राम पंचायतों में 87.36 फीसद तक मतदाता पाए जाने और पुनरीक्षण कार्य में लापरवाही पर आयोग के मुख्य सचिव को संबंधित डीएम को हटाने के निर्देश पर ही राज्य सरकार ने शरद कुमार सिंह को वहां से हटा दिया।

जिलाधिकारियों के छुट्टी लेने पर लगी रोक

पंचायत चुनाव की मतदाता सूची के पुनरीक्षण के मद्देनजर जिलाधिकारियों के अवकाश लेने और मुख्यालय छोडऩे पर भी रोक लगा दी गई है। अपरिहार्य परिस्थितियों में भी दो दिन से ज्यादा के अवकाश के लिए राज्य निर्वाचन आयोग से पहले अनुमति लेनी होगी। आयोग की हरी झंडी के बिना डीएम-एसडीएम से लेकर बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) के तबादले पर पहले से ही रोक लगी है।

सितंबर से दिसंबर के दरमियान पंचायत चुनाव कराने के लिए आयोग हरहाल में मतदाता सूची के वृहद पुनरीक्षण का कार्य 31 अगस्त तक समयबद्ध रूप से पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा है। इसमें किसी तरह की हीला-हवाली से विलंब न होने पाए इसके लिए आयोग के निर्देश पर सरकार ने जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत एवं नगरीय निकाय) की भूमिका अदा कर रहे जिलाधिकारियों के सामान्य तौैर पर अवकाश लेने पर रोक लगा दी है। इस संबंध में प्रमुख सचिव नियुक्ति राजीव कुमार ने राजस्व परिषद के अध्यक्ष और सभी मंडलायुक्तों को पत्र लिखकर कहा है कि मतदाता सूची के कार्य की तात्कालिकता, अपरिहार्यता एवं महत्वा को देखते हुए अत्यंत अपरिहार्य परिस्थितियों में ही जिलाधिकारियों को आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया जाए। किसी भी दशा में दो दिन से ज्यादा के आकस्मिक या अन्य अवकाश को राज्य निर्वाचन आयोग की पूर्वानुमति लेकर ही मंजूर किया जाए। प्रमुख सचिव ने कहा कि जिला मुख्यालय छोडऩे की दशा में भी उक्त दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। इस संबंध में आयोग की ओर से भी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।


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