फर्जी नौकरी दिला खुद ही बांट दी सैलरी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में 22 लोगों को फर्जी तरीके से नौकरी पर रखवाने वाले मास्
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में 22 लोगों को फर्जी तरीके से नौकरी पर रखवाने वाले मास्टर माइंड अभिषेक उर्फ गोलू ने खुद ही उनके एकाउंट में एक-एक महीने की सेलरी डाल दी थी। जांच में सामने आया है कि अभिषेक ने नौकरी लगवाने के साथ ही उन्हें परमानेंट होने का झांसा भी दिया था।
सचिवालय पुलिस का कहना है कि अभिषेक ने प्रत्येक व्यक्ति से पांच-पांच लाख रुपये लेने के बाद कुछ लोगों के बैंक एकाउंट में एक-एक महीने की सेलरी भी भेजी थी। इसी के चलते उसके झांसे में कई लोग आ गए और उसे नौकरी के नाम पर लाखों रुपये की धनराशि दे दी। अभिषेक उर्फ गोलू उर्फ कुलदीप तीनों उसी के नाम व्यक्ति हैं, और वह लोगों को अलग-अलग नाम बताकर गुमराह कर रहा था।
वहीं ठेकेदार टीके सिंह ने जिन 107 संविदाकर्मियों की सचिवालय में नौकरी लगवाई थी, सभी का पुलिस और एलआइयू के सत्यापन के बिना गेट पास जारी करवा दिया था। इसमें वे 22 लोग भी शामिल हैं, जिन्हें फर्जी तरह से नौकरी पर रखा गया था। नियम के मुताबिक एक दिन और तीन दिन का गेट पास के लिए पुलिस सत्यापन की जरूरत नहीं होती। इससे अधिक की अवधि के लिए गेट पास बनने के लिए पुलिस वेरीफिकेशन की जरूरत होती है। ठेकेदार ने अपने जवाब में बताया कि अधिकारियों ने पुलिस सत्यापन के लिए आदेश नहीं किया था। इसीलिए उसने सत्यापन नहीं कराया।
मुख्य स्वागताधिकारी उदयवीर सिंह राठौर ने पुलिस को संस्तुति पत्र की फोटो कापी उपलब्ध कराते हुए कहा कि कुछ की संस्तुति सादे कागज पर की गई, जबकि कुछ लोगों की ठेकेदार द्वारा जारी प्रारूप पर की गई। सभी 22 गेट पास की संस्तुति में मुख्य व्यवस्थाधिकारी की फर्जी राइटिंग मुहर व दस्तखत का इस्तेमाल हुआ है। इस में व्यवस्थाधिकारी इंस्पेक्टर सिंह भदौरिया व उनके भांजे शैलेंद्र सिंह की भूमिका संदेह के घेरे में है।