इंजन निर्माण में डीरेका का दुनिया में दूसरा स्थान
लखनऊ। डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) ने विश्वस्तर पर नई उपलब्धि हासिल करते हुए वाराणसी का
लखनऊ। डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) ने विश्वस्तर पर नई उपलब्धि हासिल करते हुए वाराणसी का नाम रोशन किया है। एक अप्रैल 2014 को डीजल रेल इंजनों के निर्माण मामले में डीरेका ने दुनिया में दूसरे स्थान पर कब्जा कर लिया है। पहले स्थान पर अमेरिका काबिज है। खास बात यह कि डीरेका ने यह उपलब्धि अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में हासिल की है।
पिछले दस सालों के रिकार्ड पर नजर डालें तो डीरेका ने हर वर्ष निर्धारित लक्ष्य से अधिक इंजनों का निर्माण किया। रेलवे बोर्ड ने गत वित्तीय वर्ष यानी 2013-14 में 300 इंजन बनाने का लक्ष्य दिया था लेकिन 311 इंजन तैयार कर डीरेका के कर्मचारियों ने एक बार फिर कारखाने को जबरदस्त फायदा पहुंचाया। इनमें 276 इंजन 4500 हार्स पावर व 35 इंजन 2500 एचपी के रहे। वर्ष 2008-09 में लक्ष्य के अलावा 177 इंजन बनाए गए। 2007-08 में 163 व 2009-10 में मिले लक्ष्य से 148 इंजन ज्यादा तैयार कर डीरेका ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। नए वित्तीय वर्ष 2014-15 में 5500 एचपी क्षमता के इंजनों का निर्माण शुरू कराया जाएगा। अब तक का सबसे अधिक क्षमता 6000 एचपी के इंजन बनाने की तैयारी भी की जा रही है। इस बाबत डीरेका प्रबंधन शीघ्र ही निविदा की प्रक्रिया शुरू करेगा।
डीजल रेल इंजन कारखाना के महाप्रबंधक भुवनेश प्रकाश खरे के मुताबिक डीरेका में तैयार डीजल रेल इंजन श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यंमार, मलेशिया आदि देशों को निर्यात किए जाते हैं। इस बाबत पिछले वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ रुपये की आय हुई थी। डीरेका की खास उपलब्धि यह है कि विश्व में डीजल इंजन उत्पादन के क्षेत्र में यह दूसरे स्थान पर है जबकि अमेरिका प्रथम और यूरोपियन जी-कंपनी तीसरे नंबर पर आ गई है।