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अमर से दिल का रिश्ता दल की ओर कदम दर कदम बढ़ा

पूर्व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बीच 'दिल' का रिश्ता फिर 'दल' से जुड़ाव की ओर बढ़ रहा है। पार्टी के बड़े ओहदेदार भी दबी जुबान इसे स्वीकारने लगे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2016 09:31 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2016 09:37 PM (IST)
अमर से दिल का रिश्ता दल की ओर कदम दर कदम बढ़ा

लखनऊ। पूर्व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बीच 'दिल' का रिश्ता फिर 'दल' से जुड़ाव की ओर बढ़ रहा है। पार्टी के बड़े ओहदेदार भी दबी जुबान इसे स्वीकारने लगे हैं।

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गुजरे सोमवार को अमर सिंह ने पहले मुलायम फिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की और वापस दिल्ली लौट गए। रविवार को वह अदालत से लोकायुक्त नामित जस्टिस संजय मिश्र के शपथ ग्र्रहण में शरीक हुए। समारोह से जब उठे तो मीडिया कर्मियों ने पूछा, अमर के 'दिल' में होने के मुलायम के बयान पर आजम की तंजिया टिप्पणी आयी है, क्या कहेंगे? जवाब में अमर बोले, दिल बेदाग और पवित्र होता है जबकि दल में जरूरत छिपी होती है। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की टिप्पणी पर हुई टिप्पणी पर अब वह टिप्पणी की जरूरत नहीं महसूस करते। मुलायम से पारिवारिक रिश्ते हैं, इसमें शक नहीं है। इसके बाद वह आगे बढ़े तो दूसरा सवाल हुआ-शेर से मौजूदा रिश्ते व हालात बयां कर दीजिए। अमर सिंह ठिठके और बोले, 'कभी रात दिन हम दूर थे, दिन-रात का अब साथ है। वह भी इत्तिफाक था, यह भी इत्तिफाक है।' इस शेर को सपा और अमर के बीच रिश्तों की पहेली को बूझने का संकेत माना जाए तो साफ है कि आने वाले दिनों में सपा मुखिया मुलायम सिंह के साथ दिल का रिश्ता दलीय रिश्ते में फिर तब्दील होगा।

2014 में सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अमर सिंह की शिरकत के साथ ही उनका नेतृत्व के साथ मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ था। तब से वह कुछ-कुछ अंतराल में मुलायम सिंह, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव से मिलते रहते हैं। इसे लेकर सपा में उनकी वापसी की जैसे ही चर्चा शुरू होती, मंत्री आजम खां या फिर महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव की ओर से तल्ख बयान आते रहे। कुछ अरसे से प्रो.राम गोपाल ने इस मुददे पर चुप्पी साध ली है और आजम ने भी सीधी टिप्पणी से बच करतंजिया जुमलेबाजी शुरू की है।

गुरुवार को जिस तरह से मुलायम ने दो टूक कहा कि अमर सिंह दल में नहीं लेकिन दिल में हैं और उसके बाद रविवार को जिस तरह से लोकायुक्त के शपथ ग्र्रहण में अमर सिंह ने हिस्सेदारी की और मुख्यमंत्री के करीब जाकर उनसे कुछ बात की, उससे दलीय रिश्ते जुडऩे का समय भी अब करीब होने का भान हो रहा है। सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि समाजवादी पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े लेकिन इन दिनों असंतुष्ट चल रहे राजपूत नेताओं के वर्चस्व को कम करने के लिए पार्टी के रणनीतिकार अब अमर सिंह की जरूरत महसूस कर रहे हैं। राज्यसभा चुनाव से पहले अमर का पार्टी में फिर शामिल होना संभव है।


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