डायबिटिक रेटिनोपैथी : पहले एहतियात, फिर इलाज
-केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग प्रोग्राम जागरण संवाददाता, लखनऊ जैसे-जैसे डायबिट
- केजीएमयू में डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग प्रोग्राम
- हर व्यक्ति को आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए
जागरण संवाददाता, लखनऊ : जैसे-जैसे डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे डायबिटिक रेटीनोपैथी के मरीज भी बढ़ रहे हैं। इससे मरीजों की दृष्टि तक जा सकती है। यदि डायबिटीज से ग्रसित लोगों की नजर धुंधली हो रही है तो विशेषज्ञ से संपर्क करें। इधर-उधर का इलाज व आई ड्राप आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के नेत्र विभाग के रेटिना विशेषज्ञ प्रो.संदीप सक्सेना ने कही।
प्रो.सक्सेना ने बताया कि केवल डायबिटीज के मरीज ही नहीं, हर व्यक्ति को आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए, जिससे समय रहते बीमारी का पता लगाकर आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं। आंखों को अगर दुरुस्त रखना है तो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल रखना चाहिए। प्रो.सक्सेना ने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रसित लोग अक्सर इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं, जिसके चलते उनके पर्दे को और ज्यादा नुकसान पहुंच चुका होता है। वह बताते हैं कि केजीएमयू की रेटिना क्लीनिक में डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत मधुमेह रोग से ग्रसित मरीजों का नेत्र परीक्षण कर उनका इलाज किया जाता है। यही नहीं, आंख के अंदर खून आने और पर्दा उखड़ने की समस्या के इलाज के लिए आधुनिक सर्जिकल तकनीक (विट्रेक्टमी) उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त डायबिटीज से होने वाली अन्य बीमारियां जैसे आंखों में सूखापन (ड्राई आइज) एवं समलबाई (ग्लूकोमा) के इलाज के अलावा मोतियाबिंद का लेंस प्रत्यारोपण द्वारा उपचार किया जाता है। विभाग की डायबिटिक क्लीनिक मेडिसिन विभाग के साथ आपसी समन्वय से मरीजों का इलाज करती है।
डायबिटीज के कारण होने वाले रोग
धुंधली दृष्टि : डायबिटीज आंखों के लेंस में मोतियाबिंद पैदा कर सकता है, जिससे रोशनी प्रभावित होती है।
मोतियाबिंद : मोतियाबिंद में आंख के सामान्य लेंस की पारदर्शिता खत्म हो जाती है। यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन मधुमेह से पीड़ित लोगों में दूसरों की अपेक्षा जल्दी होता है और तेजी से बढ़ता है।
ग्लूकोमा : आंखों के भीतरी हिस्से में संचित द्रव के कारण आंखों के भीतर प्रेशर बन जाता है। यह नसों एवं रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है तथा दृष्टि को प्रभावित करता है। धीरे-धीरे आखों की रोशनी धुंधली होना, आखों में पानी आना, प्रकाश के चारों ओर रंगीन घेरे दिखना, रोशनी का कम होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
क्या है डायबिटिक रेटिनोपैथी
रेटिना आंख के पीछे पाई जाने वाली कोशिकाओं का समूह होता है जिस तक रोशनी पहुंचती है। उच्च रक्त शर्करा के कारण बारीक रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान के कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी होती है जिससे पर्दे पर प्रभाव पड़ता है। यदि शुरुआत में इलाज न हो तो यह अंधेपन की वजह बन सकती है। शुगर कंट्रोल होने पर इसके होने की संभावना कम होती है।