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लखनऊ में श्रद्धालु नहीं भांप पाए थे 'ग्रंथी' का असली चेहरा

एटीएस के कल बब्बर खालसा के सक्रिय सदस्य जसवंत सिंह उर्फ काला के उन्नाव के सोहरामऊ क्षेत्र स्थित फार्म हाउस से पकड़े जाने के बाद कई अन्य सवाल खड़े हो रहे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 10:56 AM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 11:00 AM (IST)
लखनऊ में श्रद्धालु नहीं भांप पाए थे 'ग्रंथी' का असली चेहरा
लखनऊ में श्रद्धालु नहीं भांप पाए थे 'ग्रंथी' का असली चेहरा

लखनऊ [आलोक मिश्र]। प्रदेश की राजधानी  में बब्बर खालसा संगठन का सदस्य बलवंत सिंह ऐशबाग के जिस गुरुद्वारे में ग्रंथी के वेश में रह रहा था, कल वहां ताला बंद था। क्षेत्र के लोग बलवंत सिंह का सच जानने के बाद से स्तब्ध हैं। 

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बलवंत सिंह के बारे में अब तो लोग खुलकर बात करने तक से कतरा रहे हैं। स्थानीय लोगों ने यह जरूर बताया कि बलवंत सिंह इस गुरुद्वारे में करीब 10-12 वर्ष से रह रहे थे और वह ही यहां पर सबकुछ संभालते थे। गुरुद्वारे को अमृतसर के बाबा मक्खन सिंह का डेरा कहा जाता है।

गुरुद्वारे में भजन-कीर्तन करने जाने वाली एक स्थानीय महिला ने बताया कि बलवंत सिंह को बाबा मक्खन सिंह ही यहां लेकर आए थे और उसके बाद से बलवंत सिंह ही गुरुद्वारे को संभालते थे। वे ही अरदास लेकर भजन-कीर्तन करते थे। बुधवार रात गुरुद्वारे में लंगर था, जिसमें क्षेत्र के काफी लोग शरीक हुए थे। इस बीच एटीएस की टीम भी वहां पहुंची थी। बताया गया कि सेवादार के वेश में पहुंची पंजाब पुलिस ने बलवंत सिंह को पहचानने के बाद पकड़ा। 

महिला ने बताया कि बलवंत सिंह नवाबगंज (उन्नाव) के अलावा प्रदेश के अन्य शहरों में भी कथा वाचन करने जाते थे। उनसे अक्सर कुछ लोग मिलने भी आते थे। बलवंत सिंह किसी से जल्द घुलते-मिलते नहीं थे। जब वह बाहर जाते थे, तब अपने एक-दो साथियों को गुरुद्वारे में छोड़कर जाते थे। 

बलवंत के बाहर रहने पर वही लोग गुरुद्वारा संभालते थे। यह गुरुद्वारा एक गली में है, जिसकी दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, गुरुद्वारे को कालोनी के लोगों ने करीब 50 वर्ष पहले बनवाया था। बलवंत सिंह की एक बेटी भी है, जो अपनी बुआ के पास रहती है। जब लोगों को कल बलवंत सिंह की गिरफ्तारी की सूचना मिली तो वे हैरान रह गए।

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किसी को एक बार में यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिसे वे ग्रंथी समझते थे, वह वास्तव में बब्बर खालसा संगठन का सदस्य हो सकता है। कई श्रद्धालु बलवंत सिंह को भोजन कराने व पूजा-पाठ के लिए अपने घर भी बुलाते थे। 

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दूसरी ओर, एटीएस के कल बब्बर खालसा के सक्रिय सदस्य जसवंत सिंह उर्फ काला के उन्नाव के सोहरामऊ क्षेत्र स्थित फार्म हाउस से पकड़े जाने के बाद कई अन्य सवाल खड़े हो रहे हैं। बलवंत सिंह पड़ोसी जिले में रह रहे काला के सीधे संपर्क में था। उन्नाव में उसके कई कनेक्शन हैं।

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आशंका है कि नवाबगंज में कथा की बात कहकर वह काला से ही मिलने जाता था। एटीएस ने बलवंत सिंह से पूछताछ के आधार पर ही काला को पकडऩे में कामयाबी हासिल की। कल जांच एजेंसियों ने ऐशबाग क्षेत्र में भी छानबीन की। बलवंत सिंह व काला से जुड़े अन्य लोगों के बारे में भी पड़ताल की जा रही है।


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