कल तय होगा अनिल यादव का भविष्य व सीबीआई जांच
उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग अध्यक्ष के भविष्य का फैसला अब कल तय होगा। उनके पद पर रहने के साथ ही उनके कारनामों की सीबीआई जांच के आदेश का फैसला कल सुबह दस बजे तक आ जाएगा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग अध्यक्ष के भविष्य का फैसला अब कल तय होगा। उनके पद पर रहने के साथ ही उनके कारनामों की सीबीआई जांच के आदेश का फैसला कल सुबह दस बजे तक आ जाएगा।
अनिल यादव की नियुक्ति तथा उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार को लेकर चार जनहित याचिका दायर की गई थी। जिन पर लंबे समय से बहस चल रही थी। आज अनिल यादव की तरह से सुप्रीम कोर्ट के वकील पीएस पटवालिया ने बहस की थी। पटवालिया के सात अक्टूबर को खाली न होने के कारण अनिल यादव के मामले पर बहस हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तथा जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस मामले की सुनवाई की। दिन में दो बजे तक बहस चली। आज बहस पर फैसला आना था, लेकिन कोर्ट का समय हो जाने के कारण अब कल सुबह दस बजे तक इस मामले में फैसला आएगा।
अनिल यादव के अपराधी होने का मामला सरकार के बचाने के बाद भी उनको राहत नहीं दे सका। ïहाईकोर्ट के शिकंजे के बाद सरकार ने मान लिया है कि आयोग अध्यक्ष पर एक नहीं कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं। ताज्जुब है कि जिस शख्स पर गुंडा अधिनियम के तहत जिला बदर तक की कार्रवाई हो चुकी हो, सरकार उससे जुड़े अभिलेखों की प्रतियां प्राप्त नहीं कर सकी है। साथ ही पुलिस रिपोर्ट को हाईकोर्ट के समक्ष गोलमोल तरीके से प्रस्तुत किया गया। लोकसेवा आयोग अध्यक्ष पर लगे आरोपों पर 22 सितंबर को ही हाईकोर्ट में बहस होनी थी, लेकिन महाधिवक्ता के अनुरोध पर सात अक्टूबर तक के लिए टाल दी गई थी। इसके बाद इस मामले पर आज सुनवाई की गई।
अनिल यादव के उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर तैनाती को लेकर तीन जनहित याचिका दायर की गई थीं। तीनों पीआइएल की सुनवाई एक साथ की गई। सरकार के जवाब में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आगरा ने स्वीकार किया है कि आयोग अध्यक्ष अनिल यादव पर गुंडा एक्ट के तहत जिला बदर की कार्रवाई की गई है, लेकिन अथक प्रयास के बावजूद संबंधित कोर्ट से अभिलेख की प्रतियां प्राप्त नहीं हो सकी हैं। एसएसपी की रिपोर्ट में आयोग अध्यक्ष पर कई मुकदमे दर्ज होने का जिक्र है। साथ ही कुछ में अध्यक्ष को क्लीन चिट मिलने का भी हवाला दिया गया है।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अवनीश पांडेय ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आयोग अध्यक्ष को बचाने का प्रयास कर रही है और कोर्ट को गुमराह कर रही है। उन्होंने सवाल किया कि यह कैसे संभव है कि पुलिस आयोग अध्यक्ष का आपराधिक रिकॉर्ड खोज नहीं पा रही है। इसके पहले भी अवनीश ने आरटीआइ के माध्यम से आयोग अध्यक्ष का आपराधिक इतिहास जानने का प्रयास आइजी आगरा से किया था, लेकिन आइजी ने आरटीआइ में गलत जानकारी दी थी। इसके बाद प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति 10 फरवरी 2014 को जनहित याचिका दाखिल की। उसमें अनिल के अपराधों का पूरा उल्लेख किया है।