अभिनंदन समारोह में राज्यपाल बोले विश्वविद्यालयों में भी भ्रष्टचार के दीमक
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि अब तो भ्रष्टाचार का दीमक विश्वविद्यालयों में भी लग गया है। आरोप में दो बड़े पदाधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है।
वाराणसी (जेएनएन)। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि अब तो भ्रष्टाचार का दीमक विश्वविद्यालयों में भी लग गया है। भ्रष्टाचार के आरोप में विश्वविद्यालयों के दो बड़े पदाधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है। नैतिकता का संचार करने वाली संस्थाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर अफसोस जताते हुए कहा कि अभी तक कुलाधिपति के रूप में जो भी कार्य किए हैं उनकी सराहना पीएम नरेंद्र मोदी ने भी की है।
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राज्यपाल राम नाईक शुक्रवार को बनारस में थे और उप्र में अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कुलाधिपति के रूप में किए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. मुन्ना सिंह को बर्खास्त किया गया। इसी प्रकार एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव प्रो. यूएस तोमर का भ्रष्टाचार में लिप्त होने का प्रकरण भी निर्णय के अंतिम चरण में है। कहा कि उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिए कार्य किए गए हैं। अब तक कुलपतियों की तीन बैठकों का आयोजन उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा के साथ किया गया है। 29 में 25 विश्वविद्यालयों का दीक्षांत समारोह भी भारतीय वेशभूषा में संपन्न हुआ। चार नए विश्वविद्यालय होने के कारण वहां के छात्र उपाधि शिक्षा तक नहीं पहुंच सके हैं। विश्वविद्यालयों के कार्यों को आनलाइन किए जाने के लिए समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा नौ पूर्णकालिक कुलपति तथा दो कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किए हैं।
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24 जनवरी को उप्र स्थापना दिवस
राज्यपाल ने कहा कि 24 जनवरी को उप्र स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस बाबत प्रदेश सरकार से पत्राचार हुआ है। लखनऊ में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी स्थापना दिवस मनाने की घोषणा की है।
चरैविति! चरैवति!!
राज्यपाल ने खुद की लिखी पुस्तक चरैविति! चरैवति!! का प्रकाशन जर्मन भाषा में किए जाने पर खुशी जाहिर की। बताया कि यह पुस्तक अब तक हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती भाषा में अनुवादित की गई है।
अखिलेश व योगी की सरकार मेरी
राज्यपाल ने अधिकारों को याद दिलाते हुए कहा कि दो सरकारों के साथ कार्य का मौका मिला है। इसमें एक अखिलेश यादव तो दूसरी योगी आदित्यनाथ की है। दोनों ही सरकारें मेरी हैं। कहा, तीन वर्ष पूर्व 22 जुलाई को राज्यपाल बना तब से संविधान के तहत दोनों सरकारों को समय-समय पर सुझाव दिया जाता रहा है। मेरे कार्यकाल में करीब 250 कैदियों को दया याचिका के तहत रिहा किया गया।