पॉवर फॉर ऑलः चौतरफा उजियारा फैलाने में जुटी केंद्र सरकार
सुदूर गांव-मजरे तक के हर एक ग्रामीण को बिजली सुनिश्चित करने के लिए बुधवार को केंद्रीय टीम ने पावर कारपोरेशन के अफसरों के साथ 'पॉवर फॉर ऑल कार्यक्रम के तहत बैठक की।
लखनऊ (जेएनएन)। राज्य में विधिवत भाजपा सरकार बनने से पहले ही सभी को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने पर काम शुरू हो गया है। सुदूर गांव-मजरे तक के हर एक ग्रामीण को बिजली सुनिश्चित करने के लिए बुधवार को केंद्रीय टीम यहां पहुंची। टीम ने पावर कारपोरेशन के अफसरों के साथ 'पॉवर फॉर ऑल कार्यक्रम के तहत विद्युतीकण के कार्यों के संबंध में दिनभर बैठक की।
दरअसल, सूबे के सियासी संग्राम में बिजली बड़ा मुद्दा बनी रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय ऊर्जामंत्री पीयूष गोयल तक बिजली को लेकर अखिलेश सरकार को घेरते रहे। केंद्र सरकार, राज्य की सपा सरकार पर आरोप लगाती रही कि वह जानबूझकर प्रदेशवासियों को 24 घंटे बिजली देने को इच्छुक नहीं है क्योंकि उसने केंद्र के 'पॉवर फॉर ऑल कार्यक्रम के तहत सभी को वर्ष 2019 तक 24 घंटे बिजली देने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर ही नहीं किए। उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष में कार्यक्रम के तहत संबंधित प्रस्ताव तो तैयार किया गया था लेकिन, उत्तर प्रदेश को छोड़ शेष 28 राज्यों ने ही कार्यक्रम को अपनाया है।
अब चूंकि सपा सरकार के सत्ता से बाहर होने के साथ ही राज्य में भाजपा सरकार बनने जा रही है इसलिए सरकार के विधिवत गठन का इंतजार किए बिना ही केंद्र सरकार ने बुधवार को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुख्य अभियंता घनश्याम प्रसाद के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम को यहां भेज दिया है। दो दिन तक यहां रहने वाली टीम ने शक्तिभवन मुख्यालय में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल व प्रबंध निदेशक एपी मिश्र सहित संबंधित अधिकारियों-अभियंताओं के साथ बैठक की।
दिनभर चली बैठक में सुदूर गांव-मजरे तक 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बिजली की आवश्यकता के साथ ही पारेषण व वितरण नेटवर्क आदि के कराए जाने वाले कार्य और उसकी लागत के प्रस्तावों पर माथा-पच्ची की गई। कारपोरेशन अध्यक्ष ने बताया कि गुरुवार को भी टीम के साथ बैठक होगी। प्रबंध निदेशक मिश्र ने बताया कि कल की बैठक के बाद साफ हो सकेगा कि सभी को 24 घंटे बिजली देने के किए क्या-क्या काम कराने होंगे और उसकी क्या लागत होगी? बैठक में इस पर भी निर्णय होगा कि समय से सभी कार्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन कहां से कैसे जुटाए जाएंगे? विदित हो कि ऊर्जा निगमों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए केंद्र ने उदय योजना लागू कर रखी है।
आठ करोड़ ग्रामीणों के घर में है 'अंधेरा
राज्य सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री कहते रहे हैं कि राज्य के तकरीबन तीन करोड़ ग्रामीण घरों में से आधे से ज्यादा में आज तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। ऐसे में राज्य के तकरीबन आठ करोड़ ग्रामीण बिना बिजली के ही हैं। कहा गया कि चार करोड़ बच्चे बिना बिजली के पढ़ाई करने को मजबूर हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में ग्र्रामीण क्षेत्रों में 18 व तहसील स्तर के कस्बों में 20 घंटे ही बिजली आपूर्ति का शेड्यूल है।
18 हजार करोड़ में चार हजार करोड़ ही खर्च
केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य के सभी घरों में विद्युतीकरण के लिए उसने 18 हजार करोड़ रुपये मंजूर किए लेकिन, अखिलेश सरकार ने उसमें से सिर्फ चार हजार करोड़ रुपये का ही उपयोग किया है। 40 लाख गरीब परिवारों के घरों में मुफ्त बिजली कनेक्शन मंजूर किए गए लेकिन कनेक्शन सिर्फ नौ लाख घरों में ही दिए गए।