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अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ीं, एक और सीबीआई जांच कराएगी योगी सरकार

खन्ना समिति की सिफारिश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सहमति दे दी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 18 Jun 2017 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 08:34 AM (IST)
अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ीं, एक और सीबीआई जांच कराएगी योगी सरकार
अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ीं, एक और सीबीआई जांच कराएगी योगी सरकार

लखनऊ (जेएनएन)। खन्ना समिति की सिफारिश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सहमति दे दी है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को राज्य सरकार की ओर से सिफारिशी पत्र भेजने की प्रक्रिया जल्द पूरी कर दी जाएगी। सीबीआइ जांच शुरू हुई तो इस घोटाले में कई बड़ों की गर्दन फंसनी तय है। वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी लेकिन, इस पर 1,513 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का सिर्फ 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ।

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तस्वीरों में देखें-अब आपका अपना गोमती रिवर फ्रंट

अफसरों पर कार्रवाई 

मुख्यमंत्री ने रिवर फ्रंट परियोजना का दौरा करने के बाद जांच शुरू कराई। मुख्यमंत्री ने परियोजना की जांच के लिए न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई थी। जांच समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए गए अफसरों पर कार्रवाई निर्धारित करने के लिए नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। खन्ना समिति ने शुक्रवार को ही अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी। रिपोर्ट सौंपने से पहले खन्ना समिति ने इस परियोजना से जुड़े शीर्ष अधिकारियों का भी पक्ष लिया था। 

तस्वीरों में देखें-राजधानी की कारपेट पर योग के आसन

खन्ना समिति की रिपोर्ट 

खन्ना समिति ने अपनी संस्तुति के साथ मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंंपी और यह अनुरोध किया कि इस मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की जाए। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार खन्ना समिति की रिपोर्ट देखने के बाद मुख्यमंत्री सीबीआइ जांच के लिए राजी हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि कार्मिक मंत्रालय को प्रोफार्मा भेजने के लिए उच्च स्तर पर रिपोर्ट के परीक्षण का काम शुरू हो गया है। इस परियोजना को पूरा करने के 350 करोड़ रुपये जारी करने तथा सिंचाई, जल निगम व पर्यावरण विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की भी संस्तुति की गई है। समिति ने न्यायिक जांच में दोषी पाए गए किसी भी अधिकारी को बरी नहीं किया है। 

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परियोजना होगी पूरी 

परियोजना में अब तक अरबों रुपये खर्च हो जाने की वजह से मुख्यमंत्री ने यह फैसला किया है कि इसको पूरा किया जाए लेकिन, इसकी गुणवत्ता में कोई कोताही न बरती जाए। कार्रवाई निर्धारण समिति ने जनहित में परियोजना को पूरा करने पर जोर दिया है। गोमती में गिर रहे नालों के पानी का शोधन करने के लिए 350 करोड़ की राशि जारी करने की संस्तुति की है। कम धन में परियोजना पूरी करने के लिए तकनीक विशेषज्ञों की राय ली। मुख्यमंत्री ने समिति से इस परियोजना के भविष्य पर भी रिपोर्ट मांगी थी।  


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