आय से अधिक संपत्ति के मामले में KGMU के डॉक्टर पर मुकदमा
केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव गुप्ता और उनकी पत्नी डॉ सुनीता गुप्ता पर आय से अधिक संपत्ति को लेकर सीबीआई ने केस दर्ज किया।
लखनऊ, जेएनएन। सीबीआइ ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में रेडियोथेरेपी विभाग के हेड प्रोफेसर डॉ. राजीव गुप्ता व उनकी पत्नी डॉ. सुनीता गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया है। आरोपित डॉ. सुनीता गुप्ता लखनऊ के चारबाग स्थित रेलवे के रीजनल हास्पिटल में कार्यरत रही हैं। सीबीआइ जांच में आरोपित डॉक्टर दंपती की संपत्ति कुल आय से करीब 1.81 करोड़ रुपये अधिक पाई गई। यह रकम उनकी कुल आय से लगभग 86 फीसद अधिक है। सीबीआइ ने 12 जुलाई 2016 को डॉक्टर दंपती के ठिकानों पर छापेमारी की थी, तब उनके घर से 1.59 करोड़ रुपये तथा डॉ. सुनीता के लॉकर से 9.43 लाख रुपये बरामद हुए थे।
सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने इंस्पेक्टर अनमोल सचान की ओर से आरोपित डॉक्टर दंपती के खिलाफ यह केस दर्ज किया है। बताया गया कि सीबीआइ ने वर्ष 2016 में छापेमारी के दौरान दंपती के घर व बैंक लॉकर से कई दस्तावेज बरामद किये थे। दस्तावेजों की छानबीन में सामने आया कि डॉक्टर दंपती के द्वारा जुटाई गई अधिक संपत्ति वर्ष 2009 के बाद की है। सीबीआइ ने वर्ष 2009 से 2016 के बीच डॉक्टर दंपती के आय-व्यय का ब्योरा खंगाला, जिसमें कई तथ्य सामने आए। किस प्रकार दंपती के पास आय और व्यय के बाद करोड़ों रुपये की संपत्ति अतिरिक्त पाई गई।
दरअसल, डॉ.सुनीता गुप्ता पर कैंसर की दवाओं में घोटाले का आरोप है। नार्दन रेलवे (मेकैनिकल) के डिप्टी चीफ विजिलेंस आफिसर विनोद कुमार ने 21 जनवरी 2016 को सीबीआइ से घोटाले की शिकायत की थी। उन्होंने नार्दन रेलवे के डिविजनल अस्पताल, लखनऊ के पूर्व सीएमएस डॉ.यूएस बंसल, तत्कालीन एसीएमएस डॉ. राकेश गुप्ता, तत्कालीन सीनियर डीएमओ डॉ. सुनीता गुप्ता, फार्मासिस्ट एसएन गुप्ता व एसएस मिश्र तथा अस्पताल सहायक ताराचंद पर कैंसर की दवाओं के नाम पर घोटाले का आरोप लगाया था।
इस शिकायत पर सीबीआइ ने जुलाई 2016 में लखनऊ व रायबरेली में आरोपितों के 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। दवाओं की लोकल खरीद के नाम पर करीब तीन करोड़ की धांधली सामने आई थी। उल्लेखनीय है कि यह घोटाला वर्ष 2012 से 2014 के बीच हुए था। रेलवे अधिकारियों की ओर से आलमबाग कोतवाली में धांधली के मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही रेलवे अस्पताल में घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज जल गये थे। बाद में मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी।
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