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बुलंदशहर के गांवों में बहनों को रक्षाबंधन पर टॉयलेट गिफ्ट देंगे भाई

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भाइयों ने प्रतिज्ञा की है कि इस बार रक्षाबंधन पर वह अपनी बहनों को गिफ्ट में टॉयलेट देंगे। बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी.चन्द्रकला इस मामले में भाइयों को पूरा सहयोग कर रही हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 12:32 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 03:05 PM (IST)
बुलंदशहर के गांवों में बहनों को रक्षाबंधन पर टॉयलेट गिफ्ट देंगे भाई

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भाइयों ने प्रतिज्ञा की है कि इस बार रक्षाबंधन पर वह अपनी बहनों को गिफ्ट में टॉयलेट देंगे। बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी.चन्द्रकला इस मामले में भाइयों को पूरा सहयोग कर रही हैं।

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बुलंदशहर में स्वच्छता अभियान की ऐसी अलख जगी है कि लोग घर-घर शौचालय निर्माण के लिए स्वप्रेरित हो रहे हैं। इनका लक्ष्य रक्षाबंधन से पहले शौलाचय निर्माण कराना है, जिससे कि यह लोग रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने के बाद अपनी बहनों को टॉयलेट गिफ्ट कर सकें। राज्य पोषण मिशन के जागरूकता अभियान के तहत यहां पर दो महीने में लोगो ने अपने संसाधनों से डेढ़ हजार शौचालयों का निर्माण किया है। जागरूकता इस कदर है कि अब रक्षाबंधन पर भाई बहनों को उपहार में रूपया-पैसा नही शौचालय गिफ्ट करेंगे।

बुलंदशहर का गंगेरूवा गांव में सड़क है, बिजली है, पानी है, लेकिन शौचालय नही है। गांव की सफाईकर्मी सोनवती अम्मा की पूरी जिंदगी घर-घर से गंदगी ढोते हुए गुजर गई। सौ-दो सौ रूपयों के बदले पूरे महीने लोगो का गंदगी उठाती है। इस गांव के लोगो ने घरों में शौचालय नही बनवाए। यही वजह है कि गांव की बहन-बेटी आज भी शौच ले लिए जंगल में जाती हैं। राज्य पोषण मिशन के तहत डीएम बी चन्द्रकला ने तीन महीने पहले जिले भर में स्वच्छता कार्यशालाओं का आयोजन किया। गांव की आंगनबाड़ी वर्कर, एएनएम व ग्राम स्वच्छता समिति के साथ हुई इस जागरूकता मुहिम में लोगो को शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित किया गया। इसका ही असर है कि गंगेरूवा गांव में अब तक कुल आबादी के 70 फीसदी शौचालय तैयार हो चुके है।

सरकार की मदद से बनवाए गये शौचालयों की संख्या इस गांव में केवल 59 है. ग्राम प्रधान राकेश शर्मा व ग्राम स्वच्छता समिति इस रक्षाबंधन पर शौचालय अभियान को पूरा करने के लिए बहनों को राखी गिफ्ट में शौचालय भेंट करेंगे। जून से लेकर अगस्त के अंत तक डेढ़ हजार से ज्यादा शौचालयों का निर्माण लोगो ने अपने संसाधनों से कराया है। अकेले गंगेरूवा में 70 फीसदी से ज्यादा शौचालय सरकारी मदद के बगैर तैयार किये गए हैं। जनता में जागरूकता का असर इतना है कि ग्रामीण साफ-सफाई को अपने जीवन में भी ढालने लगे है।


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