फिर आत्मविश्लेषण की दशा में पहुंची भाजपा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में करारी हार के बाद के स्टार प्रचारकों ने हार के बाद आत्मविश्लेषण
लखनऊ। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में करारी हार के बाद के स्टार प्रचारकों ने हार के बाद आत्मविश्लेषण की जरूरत महसूस की है। वह इस हार के लिए खुद को छोड़ अन्य किसी पर हार की जिम्मेदारी डाल रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकात वाजपेयी ने परिणामों का सम्मान करने की बात कही लेकिन नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र से इन्कार किया। भाजपा के मुख्य प्रचारक गोरक्षपीठ महंत आदित्यनाथ ने सपा अधिक सीटों पर जीत के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह सत्ता दुरुपयोग रोकने में नाकाम रहा।
सपा को बसपा का परोक्ष समर्थन
प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि उपचुनाव में सपा को अप्रत्यक्ष रूप से बसपा का समर्थन रहा जबकि काग्रेस भी मतदाताओं को भ्रमित करके अपने गठबंधन की सहयोगी सपा की मदद करती रही। भाजपा ने अपने वोट में इजाफा किया है। पार्टी ने लखनऊ पूर्व, नोएडा व सहारनपुर में नहीं बल्कि बिजनौर, ठाकुरद्वारा, निघासन व बलहा में भी वर्ष 2012 से अधिक मत प्राप्त किए हैं। सपा, बसपा और काग्रेस के आंतरिक गठजोड़ से परिणाम अनुकूल नहीं रहे। कहा कि उपचुनाव परिणाम किसी भी आम चुनाव के संकेतक नहीं हैं। पार्टी को पूरा विश्वास है कि वर्कर उपचुनाव परिणामों से निराश हुए बगैर पूरी ऊर्जा से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे और लोकसभा चुनाव विजय का परचम लहराएंगे।
चुनाव प्रक्रिया में मैं कहीं नहीं
भाजपा के मुख्य प्रचारक रहे सांसद आदित्यनाथ ने कहा कि उपचुनाव के नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं लेकिन हर हार अपने विश्लेषण का मौका देती है। भाजपा को लोकसभा चुनाव के शानदार नतीजों के सिर्फ चार माह बाद ही आए इन नतीजों का विश्लेषण करना चाहिए। एक सवाल के जवाब में योगी ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी चयन, संगठनात्मक संरचना और व्यूह रचना तीन चीजें जरूरी हैं। इस प्रक्रिया में मैं कहीं नहीं था। मुख्य प्रचारक के रूप में भी मेरी भूमिका सीमित थी।