एनएचएम में पैथोलॉजी जांच में मुफ्त जांच के नाम पर बड़ा घोटाला
प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मुफ्त पैथोलॉजी जांच का करार मरीजों के साथ मजाक साबित हुआ। टेंडर लेने वाली कंपनी ने दूसरी कंपनी को यह काम सौंप दिया।
लखनऊ [संदीप पांडेय]। गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में बच्चों व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने की घटना अभी पुरानी भी नहीं पड़ी कि मरीजों के साथ मजाक का एक और बड़ा सामने आ गया है। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मुफ्त पैथोलॉजी जांच का करार मरीजों के साथ मजाक साबित हुआ। इन जांच के लिए टेंडर लेने वाली कंपनी कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर ने ऐसी दूसरी कंपनी को यह काम सौंप दिया, जिसके पास पैथोलॉजी जांचों के लिए बुनियादी ढांचा तक नहीं है।
इतना ही नहीं, ज्यादा भुगतान पाने के लिए लगातार फर्जी जांचें भी की गईं। उनकी जांच रिपोर्ट की सत्यता पर भी संदेह है, क्योंकि जांच प्रक्रिया से जुड़े लोगों की योग्यता पर सवालिया निशान लगाया गया है। जांच के नाम पर यह खेल प्रदेश के 822 सीएचसी और तमाम जिला अस्पतालों में खेला गया।
एनएचएम के तहत राज्य में पीपीपी मॉडल पर पैथोलॉजी जांच का फैसला किया गया। योजना के दायरे में 822 सीएचसी और 95 जिला अस्पतालों को लिया गया। इसके लिए सात फरवरी 2017 को कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर के साथ करार हुआ। पहले चरण का काम सात अप्रैल तक पूरा करना था। साथ ही योजना में शामिल सीएचसी और अस्पतालों पर सेंटर को मानकों के अनुसार स्थापित कर रन करना था, मगर ऐसा नहीं किया गया। राजफाश स्वास्थ्य महानिदेशक की जांच में हुआ।
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जांच समिति की बैठक 12 मई को हुई थी। अब शासन को टेंडर निरस्त करने की संस्तुति की गई। एक वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट के मुताबिक संग्रह किए गए सैंपल की कोल्ड चेन मेनटेन रखना अहम होता है। ऐसा न होने से जांच के पैरामीटर सटीक आने में संशय रहता है, जोकि मरीज के सीधे इलाज को प्रभावित करता है।
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इस तरह हुई अनियमितता
-कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर ने टेंडर लिया, लेकिन संचालन कई जगह दूसरे को दे दिया।
- इसके लिए उसने उप संविदा भी निकाली, जो नियम विपरीत थी।
- शिकायत में फर्जी जांचें कर केस बढ़ाने के भी मामले मिले
- बिना टेक्नीशियन और रेफ्रिजरेटर के चलाए गए सेंटर
- तैनात कर्मचारियों की योग्यता पर संदेह, नहीं दिया ब्योरा
- ब्लड सैंपल के तापमान को मेनटेन करने के लिए नहीं थी व्यवस्था
- सेंटर पर एसी, सैंपल बार कोड, लैब इंफॉर्मेशन सिस्टम भी नहीं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
खून की मुफ्त जांच का करार कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर के साथ किया गया था। सेंटर के कार्यों में काफी गड़बड़ी पाई गई है। ऐसे में शासन को टेंडर निरस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है।
-डॉ. पद्माकर सिंह, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
जांच में टेंडर की शर्तों का उल्लंघन पाया गया है। कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर को टर्मिनेशन का नोटिस जारी कर दिया गया है।
-आलोक कुमार, निदेशक, एनएचएम।