तीन को आसाराम की जमानत पर फैसला
लखनऊ। अपने गुरुकुल की नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म में फंसे आसाराम और उनके समर्थकों की अब त
लखनऊ। अपने गुरुकुल की नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म में फंसे आसाराम और उनके समर्थकों की अब तीन जुलाई पर निगाहें टिकी हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जमानत याचिका पर इस दिन बहस होगी और फैसला सुनाए जाने की भी उम्मीद है। दुष्कर्म केस के सह आरोपी व आसाराम के सेवादार शिवा, छिंदवाड़ा गुरुकुल की वार्डेन शिल्पी, डायरेक्टर शरदचंद्र तथा रसोइया प्रकाश जेल जाएंगे या फिर बाहर ही रहेंगे, इसका फैसला भी साथ में ही आ सकता है।
ग्यारह माह से जेल की सलाखों में रह रहे कथावाचक आसाराम बापू ने ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्ट में जमानत खारिज होने के बाद उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। मई माह में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। शाहजहांपुर की पीड़िता की ओर से जमानत रोकने के लिए कैविएट दाखिल की गई थी। पीड़िता ने शिल्पी, शिवा, प्रकाश तथा शरद की जमानत खारिज करने के लिए अपील भी की थी। मई में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन जुलाई की तिथि नियत कर दी थी।
सरकार ने नियुक्त किए दो अधिकारी
राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए दो अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। वरिष्ठ अधिकारी शमशेरी और डिप्टी पुलिस कमिश्नर नाजिम अली तीन जुलाई को सरकार का पक्ष रखेंगे।
आसाराम की मदद कर रही सरकार
आसाराम की जमानत से पूर्व ही शाहजहांपुर की पीड़िता के पिता ने राजस्थान सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखने के लिए जोधपुर वार्ता के लिए बुलाया, वह जोधपुर पहुंचे तो अधिकारी मिलने तक नहीं आए। जबकि वह तयशुदा वक्त 11 बजे से शाम तक इंतजार करते रहे। अभियोजन अधिकारी से भी सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए नामित प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श नहीं किया।