सशस्त्र बल अधिकरण ने रद की जवान की बर्खास्तगी, सेना पर लगाया दो लाख जुर्माना
सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ बेंच ने सेना के अधिकारियों की मनमानी का शिकार हुए बर्खास्त जवान को बहाल करने का आदेश दिया। साथ ही सेना पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
लखनऊ (जेएनएन)। जिस जवान को सेना ने मानसिक रोगी बताया। उसे मिलिट्री अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां उसका 13 दिन उपचार भी कराया। उसे ही 39 अन्य जवानों के साथ भगोड़ा घोषित कर सेवा से बर्खास्त कर दिया। मामला सशस्त्र बल अधिकरण (एएफटी) की लखनऊ बेंच पहुंचा। अधिकरण ने सेना के अधिकारियों की मनमानी का शिकार हुए बर्खास्त जवान को बहाल करने का आदेश दिया। साथ ही गलत तरीके से उसे भगोड़ा घोषित कर सेवा समाप्ति पर सेना पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सुलतानपुर के पोस्ट किनौरा स्थित लेहिया जलपापुर निवासी पूर्व सैपर संतोष कुमार सिंह भारतीय सेना की इंजीनियरिंग ग्रुप में वर्ष 2002 में भर्ती हुआ था। सेना ने 30 अक्टूबर 2003 को उसे मानसिक रूप से बीमार बताते हुए रुड़की मिलिट्री अस्पताल में भर्ती करा दिया। यहां से उसे 31 अक्टूबर को सेना ने मिलिट्री अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां उपचार पूरा होने पर संतोष को 10 नवंबर 2003 को डिस्चार्ज कर दिया गया।
उधर सेना के अधिकारियों ने 13 नवंबर 2003 को ही उसे बगैर इजाजत ड्यूटी से अनुपस्थित दिखाकर भगोड़ा घोषित कर दिया। 19 फरवरी 2004 को कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित कर दी गई। इसमें आर्मी एक्ट और रक्षा मंत्रालय के 11 मार्च 1980 के आदेश के तहत संतोष को बर्खास्त कर दिया। इसी आदेश पर 39 अन्य जवानों को भी बर्खास्त किया गया था।
सेनाध्यक्ष ने भी नहीं की सुनवाई
सेना के अधिकारियों ने बर्खास्तगी की सूचना संतोष कुमार सिंह को नहीं दी। उनको सुलतानपुर सैनिक कल्याण बोर्ड से इसकी जानकारी मिल सकी। उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच के निर्देश पर उसने सेनाध्यक्ष से अपील की थी। जिसे उन्होंने बिना जांच के खारिज कर दिया।
एएफटी ने लगाई फटकार
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायिक सदस्य सेवानिवृत्त न्यायधीश डीपी सिंह और सेवानिवृत्त एयर मार्शल अनिल चोपड़ा ने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के निर्णय की जानकारी दिए बिना कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के विरुद्ध हुई कार्रवाई अमानवीय और असंवैधानिक है। एक आदेश से 40 जवानों की बर्खास्तगी, शक्तियों के घोर दुरुपयोग को दर्शाता है। सेना के ताकतवर अधिकारियों को सीख देने के लिए दो लाख रुपये का जुर्माना लगा। साथ ही जिस रैंक से संतोष कुमार सिंह की बर्खास्तगी हुई थी, उसी से उनकी सेवा बहाली मानते हुए सभी सुविधाएं और यदि उसकी सेवा अभी बाकी है तो उनको वापस लिए जाने का आदेश दिया।