भगवा गमछे को उपद्रव का लाइसेंस बताने वाले अखिलेश खुद का आकलन करें
भगवा गमछे को उपद्रव का लाइसेंस बताने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने आत्मविश्लेषण करने की सलाह दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। भगवा गमछे को पुलिस की पिटाई और उपद्रव का लाइसेंस बताने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि अखिलेश युवा नेता हैं, लेकिन हार से इतनी हताश और निराश है कि सबको भगवा चश्मे से देख रहे हैं। मंत्री ने अखिलेश को यह आत्मविश्लेषण करने की सलाह दी कि प्रदेश में पांच साल पहले जो सरकार धूमधाम से आई थी, वह बैंड-बाजे के साथ विदा क्यों हो गई?
लखनऊ में पत्रकारों से मुखातिब स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने एक महीने की भाजपा सरकार के कामकाज पर अखिलेश द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारे 30 दिनों की बजाए उन्हें अपने मुख्यमंत्रित्व काल के 1725 दिनों का आकलन करना चाहिए। इससे सपा अध्यक्ष को जवाब मिल जाएगा कि पांच साल में किस तरह गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार, अवैध कब्जे, गरीबों का शोषण, परिवारवाद और जातिवाद बढ़ाया गया है। मंत्री ने कहा कि एक महीने की सरकार में हमने जो सकारात्मक कदम उठाए हैं, हमें उनपर गर्व है।
यह भी पढ़ें: भाजपा सरकार में आज़म को खतरा नहीं उनकी भैंस भी नहीं गायब होगी
100 दिन में बनेगी स्वास्थ्य नीति
प्रदेश में चिकित्सा संबंधी तमाम अव्यवस्थाओं के लिए कोई नीति न होने को जिम्मेदार ठहराते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को दावा किया कि 100 दिनों में प्रदेश की स्वास्थ्य नीति तैयार हो जाएगी। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए लोक सेवा आयोग के दायरे से बाहर निकल कर भर्ती के प्रयास किए जा रहे हैैं। लोगों को चिकित्सा मिल सके, इसके लिए डॉक्टरों को इंसेंटिव देकर शाम की ओपीडी चलाने की योजना है, जबकि सीएचसी-पीएचसी में रोस्टर लागू करने के साथ ही डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमीट्रिक प्रणाली से हाजिरी दर्ज की जा रही है। मंत्री ने बताया कि छह महीने में फोन से दवा बताने वाली टेली मेडिसिन सेवा शुरू होगी और एक साल में एक हजार जन औषधि केंद्र खोलने के लिए 10 दिन में करार हो जाएगा। इसके अलावा दवाओं की लोकल पर्चेस को ऑनलाइन करने, सेंट्रलाइज पर्चेस विभाग बनाने और पॉलिसी लाकर डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस को रेगुलेट करने के भी काम किए जाएंगे।