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राज्यपाल की रिपोर्टः सहारनपुर हिंसा से निपटने में नाकाम रहा प्रशासन

राज्यपाल राम नाईक ने सहारनपुर की जातीय हिंसा सहित प्रदेश की प्रमुख वारदात पर केंद्र को भेजी रिपोर्ट में जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 10 Jun 2017 09:57 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jun 2017 10:54 PM (IST)
राज्यपाल की रिपोर्टः सहारनपुर हिंसा से निपटने में नाकाम रहा प्रशासन
राज्यपाल की रिपोर्टः सहारनपुर हिंसा से निपटने में नाकाम रहा प्रशासन

लखनऊ (जेएनएन)। राज्यपाल राम नाईक ने भी सहारनपुर की जातीय हिंसा सहित प्रदेश की प्रमुख वारदात पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में सहारनपुर की हिंसा के तमाम पहलुओं का जिक्र किया गया है। इससे पहले राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय व गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में हिंसा के पीछे साजिश की आशंका जताते हुए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने नफरत फैलाई जिसका मुस्लिम समाज के कतिपय लोगों ने सियासी फायदा उठाने का प्रयास किया। 

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दरअसल, सांविधानिक दायित्वों के तहत राज्यपाल प्रत्येक माह राज्य में होने वाली प्रमुख घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजते हैं। राज्यपाल ने शनिवार को मई माह की रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर गृह मंत्रालय को भेज दिया। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में राज्यपाल ने कई अन्य घटनाओं के साथ ही सहारनपुर की जातीय हिंसा का खासतौर से विस्तार में उल्लेख किया है। हिंसा के पीछे के कारण, पुलिस प्रशासन की भूमिका, राज्य सरकार द्वारा कराई गई जांच, भीम आर्मी के चंद्रशेखर के रोल और मीडिया रिपोर्ट का भी ब्योरा राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट में राज्यपाल ने उन बातों को भी शामिल किया है जिनका जिक्र पिछले दिनों मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री व गृह मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में किया था।

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गौरतलब है कि 27 मई को मुख्यमंत्री के यहां से प्रधानमंत्री व गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट भेजी गयी थी, उसकी शुरुआत सहारनपुर के सड़क दूधली व शब्बीरपुर बडग़ांव के विवाद से की गई थी। 26 मई तक के घटनाक्रम को बिंदुवार समेटा गया था। रिपोर्ट का निष्कर्ष यह था कि जिला प्रशासन स्थितियों से निपटने में चूक गया। पर्याप्त एवं प्रभावी पुलिस बल का प्रबंधन नहीं किया गया। घटना पर पुलिस भेजी गई मगर बाद की स्थितियों से निपटने के उपाय नहीं किये गए, जिससे उपद्रवियों को संगठित होकर हिंसात्मक वारदात का मौका मिला। शनिवार को वायरल हुई पांच पेज की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तत्कालीन डीएम एनपी सिंह व एसएसपी सुभाष दुबे के मध्य समन्वय का अभाव था। एलआइयू व प्रशासन के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान में समन्वय नहीं था।

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13-14 साल से सड़क दूधली विवाद

केंद्र को गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि सड़क दूधली में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की स्मृति में शोभा यात्रा का विवाद 13-14 साल पुराना है। 2003 में यात्रा निकालने का प्रयास हुआ था, मगर तत्कालीन मायावती सरकार ने इजाजत नहीं दी थी। वर्ष 2016 में फिर प्रयास हुआ लेकिन, जुलूस नहीं निकालने दिया गया। इस बार 20 अप्रैल को सांसद राघव लखनपाल की जिद पर जिला प्रशासन ने वैकल्पिक मार्ग से शोभा यात्रा निकलवाई, जो कस्बे में घुस गई, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध किया, जिससे अप्रिय स्थिति बनी। यात्रा निकालने के लिए दलित समाज के अशोक भारती ने सांसद को प्रेरित किया था। इस मामले में सांसद के विरुद्ध भी एफआइआर दर्ज है।


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