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गरीबों को कालाधन देने के लिये आगे आये प्रदेश के 250 करोड़पति

कालेधन को कूड़ा ना होने देने के लिए जिन्होंने नोटबंदी के बाद इसे बैैंकों में जमा कर दिया था, आयकर से बचने के लिए वे अपना कालाधन गरीबों के साथ बांटने को तैयार हो गए हैैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 17 Mar 2017 03:26 PM (IST)Updated: Fri, 17 Mar 2017 03:30 PM (IST)
गरीबों को कालाधन देने के लिये आगे आये प्रदेश के 250 करोड़पति
गरीबों को कालाधन देने के लिये आगे आये प्रदेश के 250 करोड़पति

लखनऊ [अमित मिश्र]। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बेहिसाब मिले वोटों के पीछे गरीबों के उस संतोष को वजह माना जा रहा है, जो नोटबंदी के बाद उन्हें अमीरों की कठिनाई से मिला है। यह संतोष अब रकम में बदलते हुए भी दिखने लगा है। कालेधन को कूड़ा ना होने देने के लिए जिन्होंने नोटबंदी के बाद इसे बैैंकों में जमा कर दिया था, आयकर से बचने के लिए वे अपना कालाधन गरीबों के साथ बांटने को तैयार हो गए हैैं। प्रदेश में कालाधन रखने वाले 250 से अधिक लोगों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाइ) में शामिल होने के लिए आयकर विभाग का दरवाजा खटखटाया है।
पीएमजीकेवाइ के तहत आयकर के पास अब तक करीब 100 करोड़ रुपये पहुंच चुके हैैं, लेकिन नोटबंदी के बाद बैैंकों में जमा हुई भारी रकम देखकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश के लिए ऐसे ऊंचे लक्ष्य तय कर दिए हैैं कि आयकर अफसर पसीने-पसीने हो रहे हैैं। आयकर के एक अधिकारी ने बताया कि 31 मार्च तक प्रदेश में इस योजना के लिए कुल करीब 2750 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है। फैजाबाद, गोरखपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली व हल्द्वानी में से प्रत्येक में आयकर के तीन रेंज हैैं, जबकि लखनऊ में दो रेंज और दो विंग हैैं। केंद्र ने प्रत्येक रेंज व विंग के लिए 125 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य के मुकाबले प्रदेश में स्थित आयकर की सभी 20 रेंज और दोनों विंग मिला कर भी आंकड़ा 100 करोड़ तक ही पहुंचा है।

31 मार्च के बाद देना होगा 107 फीसद
आयकर के उप निदेशक जांच जयनाथ वर्मा बताते हैैं कि नोटबंदी के बाद बैैंकों में करोड़ों रुपये जमा करने वालों को काउंसिलिंग कर समझाया जा रहा है कि यदि वे पीएमजीकेवाइ के तहत आएंगे तो फायदे में रहेंगे। इन जमाकर्ताओं को बताया जा रहा है कि यदि वे अपने आप नहीं आए तो 31 मार्च के बाद आयकर विभाग उनकी कुंडी खटखटाएगा। तब उन्हें पेनाल्टी के साथ करीब 107 फीसद रकम का भुगतान करना पड़ सकता है।

फंस गए कालेधन वाले
नोटबंदी के बाद बैैंक में मोटी रकम जमा करने वालों ने इस पैसे को नंबर एक का दिखाने के लिए आयकर के वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट की सलाह से खूब फर्जी बिल काटे और उसी अनुसार वैट व सर्विस टैक्स तक जमा कर दिया। अब आयकर उन्हें समझा रहा है कि गहन पड़ताल में उनके फर्जी लेनदेन की पोल खुलनी तय है, इसलिए वे पीएमजीकेवाइ में शामिल हो जाएं, जबकि कालेधन वालों के सामने यह मुश्किल आ गई कि एक बार किताबों में सारा हिसाब सेटल करने के बाद वे खुद इसे कैसे झूठा करार दे दें।

क्या है पीएमजीकेवाइ
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत काला धन सामने लाने वालों को 50 फीसद टैक्स देना होगा और 25 फीसद रकम बिना ब्याज के चार वर्ष के लिए सरकार के पास रहेगी। यानी जितना कालाधन घोषित होगा, उसका 25 फीसद तुरंत और बाकी 25 फीसद चार वर्ष बाद वापस मिलेगा। आयकर अधिकारियों का मानना है कि चार साल के लिए रोका जाने वाला 25 फीसद धन ही गरीबों के कल्याण में काम आना है।
 

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