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बैंक अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला

- एसटीएफ ने हेराफेरी करने वाले दंपती को किया गिरफ्तार - आरोपित ने विजया बैंक के अफसरों को 20 लाख

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 07:45 PM (IST)
बैंक अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला
बैंक अफसरों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला

- एसटीएफ ने हेराफेरी करने वाले दंपती को किया गिरफ्तार

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- आरोपित ने विजया बैंक के अफसरों को 20 लाख रुपये घूस देने की बात कबूली

- दंपती पर था 12 हजार रुपये का इनाम, जुटाया जा रहा संपत्ति का ब्योरा

जागरण संवाददाता, लखनऊ : राजधानी में बैंक अधिकारियों की साठगांठ से दंपती ने करोड़ों रुपये का लोन घोटाला कर डाला। फर्जी दस्तावेज व स्टॉक के बलबूते करोड़ों कमाने वाला दंपती शहर में मकान बदल-बदलकर रहता था। डीआइजी एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) मनोज तिवारी के मुताबिक अब बैंक अधिकारियों की संलिप्तता की गहनता से जांच कराई जा रही है। आरोपित दंपती ने एक जमीन के दस्तावेज पर भी दो बैंकों से लोन ले रखा था। दंपती 24 ट्रक के भी मालिक हैं, जिन्हें सिलिंडर ट्रांसपोर्टेशन के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से अनुबंधित करा रखा है। इनमें अधिकांश ट्रक कानपुर में रजिस्टर्ड हैं।

एसटीएफ ने जानकीपुरम सेक्टर छह निवासी सूरज मिश्रा व उसकी पत्‍‌नी शालिनी मिश्रा को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ के एएसपी डॉ.अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक दंपती के खिलाफ विकासनगर थाने में वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से धोखाधड़ी के दो मुकदमे दर्ज कराए गए थे। इन मामलों में दंपती के खिलाफ 12 हजार रुपये का इनाम घोषित था, जबकि जानकीपुरम थाने में वर्ष 2015 में धोखाधड़ी की रिपोर्ट और वर्ष 2016 में हजरतगंज कोतवाली में विजय बैंक की ओर से जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। छानबीन में सामने आया कि आरोपित ने वर्ष 2014 में हजरतगंज स्थित विजया बैंक से फर्जी दस्तावेज के जरिए एक करोड़ 10 लाख का बैंक लोन व 97 लाख रुपये की क्रेडिट लिमिट हासिल की थी और पूरी रकम हड़प ली थी। विजया बैंक के अधिकारियों ने प्रकरण की विभागीय जांच भी कराई थी। छानबीन में यह भी सामने आया कि दंपती ने विजया बैंक के अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा, सिंडीकेट बैंक, कोटक फाइनेंस, टाटा फाइनेंस, टाटा कैपिटल सहित अन्य बैंक व फाइनेंसर्स से लोन लिए थे, जो एनपीए (नॉन परफॉर्मिग एसेट) घोषित हो गए हैं। अब तक की जांच में सूरज द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा से 50 लाख व यूनियन बैंक से भी 25 लाख लोन लेने की बात सामने आई है। एसटीएफ की प्रेसवार्ता के दौरान आरोपित सूरज मिश्रा ने विजया बैंक के एजीएम व शाखा प्रबंधक स्तर के अधिकारियों के सुझाव व साठगांठ से करोड़ों का लोन हासिल करने का आरोप लगाया। सूरज का आरोप है कि उसने दो करोड़ का लोन हासिल करने के एवज में विजया बैंक के अधिकारियों को 20 लाख रुपये बतौर घूस दिए थे।

कोलकाता से आकर जमाया ठगी का कारोबार : मूलरूप से बस्ती निवासी सूरज के पिता कोलकाता में कपड़ों का छोटा कारोबार करते थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते सूरज शुरुआत में कोलकाता में सब्जी की दुकान पर काम करता था। वह वर्ष 2001 में लखनऊ आया था और यहां दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक सामान लाकर नाका की मार्केट में बेचने का काम करता था।

कानपुर की युवती से किया प्रेम विवाह : लखनऊ में रहने के दौरान सूरज की मुलाकात कुछ ट्रक करोबारियों से हुई और उसने दो पुराने ट्रक खरीदे। इस बीच सूरज की मुलाकात कानपुर में पुराने ट्रक का काम करने वाले इकबाल की बेटी शालू से हुई। शालू लखनऊ में अपने एक रिश्तेदार के घर आई थी। जल्द ही सूरज व शालू की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी कर ली थी। शालू ने अपना नाम बदलकर शालिनी रख लिया था।

ऐसे लिया एक जमीन पर दो बैंकों से लोन : सूरज ने जानकीपुरम सेक्टर छह में एक जमीन खरीदी थी। सूरज ने इस जमीन की रजिस्ट्री दो हिस्सों में खुद व पत्‍‌नी शालिनी के नाम कराई थी। एसटीएफ की पूछताछ में सूरज ने बताया कि उसने अपने हिस्से की जमीन की रजिस्ट्री के आधार पर सिंडीकेट बैंक से 39 लाख का लोन लिया था। बाद में सुनियोजित साजिश के तहत एक अखबार में अपनी जमीन के दस्तावेज खोने का विज्ञापन प्रकाशित कराया। इसके बाद विजया बैंक से पत्‍‌नी के हिस्से की जमीन की रजिस्ट्री व उसके हिस्से की जमीन के दस्तावेज खोने के विज्ञापन के जरिए एक करोड़ रुपये लोन ले लिया था।

ताजा सब्जी व काले नमक का स्टॉक दिखाकर लिया एक करोड़ ऋण : पुलिस के मुताबिक सूरज ने पूछताछ में बताया कि हजरतगंज स्थित विजय बैंक के तत्कालीन प्रबंधक के कहने पर उसने एक करोड़ की ताजी सब्जी व काले नमक के स्टॉक के फर्जी प्रपत्र जमा कर ट्रक फाइनेंस कराने के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये का लोन हासिल किया था। उसके स्टॉक का सर्वे तत्कालीन एजीएम सुशांत नाग ने किया था। बैंक ने ट्रक फाइनेंस के लिए स्वीकृत लोन को उसके खाते में भेजा था। सूरज ने बख्शी का तालाब क्षेत्र स्थित अशोक लीलैंड के डीलर के खाते में लोन की रकम ट्रांसफर की और पांच ट्रक क्रय करने की सूचना विजया बैंक को उपलब्ध करा दी थी।

ट्रक की जगह थमा दिया स्कूटर व टेंपो का रजिस्ट्रेशन : पुलिस के मुताबिक सूरज ने विजया बैंक को ट्रक खरीदने के प्रपत्र उपलब्ध कराने के बाद अशोक लीलैंड के तत्कालीन एकाउंटेंट से साठगांठ कर एक करोड़ 10 लाख रुपये अपने दूसरे खाते में ट्रांसफर करा दिए और ट्रक खरीदने की डील कैंसिल कर दी। इसके बाद विजया बैंक में ट्रक के बदले स्कूटर व टेंपो के पांच रजिस्ट्रेशन के कागजात जमा कर दिए थे।

लोन पर ऑडी कार लेकर शान से घूमता था दंपती : सूरज ने एसटीएफ अधिकारियों को बताया कि उसने वर्ष 2012 में हजरतगंज स्थित विजया बैंक से ऑडी कार खरीदने के लिए लोन लिया था। बैंककर्मियों की मिलीभगत से कार लोन के लिए बंधक संपत्ति के दस्तावेज आरटीओ कार्यालय में दर्ज नहीं कराए। इसके बाद कार अपनी पत्‍‌नी शालिनी के नाम ट्रांसफर करा ली। बाद में शालिनी के नाम पर ऑडी कार के दस्तावेजों की मदद से कोटक फाइनेंस से 15 लाख रुपये लोन हासिल किया था।

डीएम कार्यालय से बनवाया 42 लाख रुपये का हैसियत प्रमाण पत्र : सूरज ने गुडंबा के बहादुरपुर में खरीदी एक जमीन को स्टेट बैंक में गिरवी रखकर लोन लिया था और उसी संपत्ति के आधार पर डीएम कार्यालय लखनऊ से 42 लाख रुपये का हैसियत प्रमाण-पत्र बनवा लिया था।

कक्षा दो और पांच पास दंपती ने फेल किए बड़े फॉर्मूले : यूं तो बैंक से लोन लेने में बड़ों-बड़ों को छींके आ जाती हैं, लेकिन कक्षा दो तक पढ़े सूरज व कक्षा पांच पास शालिनी ने बैंक अफसरों की मदद से खुद बैंकों में ही सेंध लगा दी। बड़े-बड़े फॉर्मूले फेल कर दिए। आरोपित सूरज ने खुद कबूला कि उसे यह हुनर बैंकर्स ने ही सिखाया। फर्जी तरीके से लोन लेने के आइडिया तो बैंकर्स से ही मिले। अनपढ़ दंपती के इस खेल में कई बड़ों के शामिल होने की भी आशंका है। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि कम-पढ़े लिखे दंपती को बैंक अधिकारियों ने अपना मोहरा बनाकर खुद भी मोटी रकम कमाई। एएसपी एसटीएफ के मुताबिक बैंक अधिकारियों व सूरज से जुड़े कुछ अन्य लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है। कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे बैंक अधिकारियों की लापरवाही साफ जाहिर हो रही है। सूरज की संपत्ति का भी ब्योरा जुटाया जा रहा है। सूरज काठमांडू के कैसीनो में भी जाता था और ठगी की रकम से खूब जुआ खेलता था। सूरज के पास से एंटी करेप्शन न्यूज एंड व्यूज के संरक्षक का पहचान पत्र भी मिला है, जिसकी भी जांच की जा रही है। वह अपने वाहनों पर प्रेस लिखवाकर चलता था। अब तक की जांच में दंपती के 15 बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनका ब्योरा भी खंगाला जा रहा है।

यह हुई बरामदगी

- ऑडी कार व स्कॉर्पियो

- अलग-अलग नंबर के दो पैन कार्ड

- एंटी करेप्शन न्यूज एंड व्यूज के संरक्षक का पहचान पत्र

- शालिनी के नाम अलग-अलग पतों के तीन तथा सूरज के नाम बने दो मतदाता पहचान पत्र

- दो आधार कार्ड

- एक ड्राइविंग लाइसेंस


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