ड्राइवरों और गार्डो ने भूखे पेट चलाई ट्रेनें
लखनऊ : हजारों यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाने का अहम जिम्मा जिन ट्रेन ड्राइवरों और गार्
लखनऊ : हजारों यात्रियों को सुरक्षित उनकी मंजिल तक पहुंचाने का अहम जिम्मा जिन ट्रेन ड्राइवरों और गार्डो का है, वह अपनी लंबित मांगों को लेकर मंगलवार को 36 घंटे की भूख हड़ताल पर चले गए। ड्राइवरों और गार्डो के लिए रनिंग रूम में खाना नहीं बना। उन्होंने भूखे पेट रहकर ट्रेनें चलाईं और चारबाग स्थित लॉबी के सामने बैठकर प्रदर्शन किया।
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टॉफ एसोसिएशन और ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल की ज्वाइंट एक्शन कमेटी की ओर से मंगलवार सुबह आठ बजे 36 घंटे की भूख हड़ताल शुरू हो गयी। ऐसा कई साल बाद हुआ जब ट्रेन ड्राइवर भी भूख हड़ताल में शामिल हो गए। दरअसल ट्रेन ड्राइवर और गार्ड सातवें वेतन आयोग की सिफारिश में उनके भत्तों को कम किए जाने सहित कई विसंगतियों को लेकर नाराज हैं। काउंसिल ने रेलवे बोर्ड को कई प्रत्यावेदन दिए लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ड्राइवर और गार्ड ने भूख हड़ताल का निर्णय कर लिया। देश भर में मंगलवार सुबह से ड्राइवरों और गार्ड ने खाना नही खाया। यात्रियों को कोई असुविधा न हो इसके लिए ड्राइवर और गार्ड लॉबी में अपनी डयूटी को साइन ऑन कर सीधे ट्रेनों पर चले गए। ड्राइवरों और गार्डो ने अपने कमीज की जेब में हड़ताल के समर्थन में बैज लगाए। जिनको देख यात्री भी हैरान रहे। एके उपाध्याय और एमए खान सहित कई ड्राइवर और गार्ड ने प्रदर्शन भी किया।
यह हैं मुख्य मांग
-सातवें पे कमीशन के अनुसार 14.29 प्रतिशत वेतन वृद्धि की जाए।
-आरएसी 1980 कमेटी के अनुसार रनिंग एलाउंस दिया जाए
-एक सप्ताह में नाइट की केवल दो ड्यूटी लगाईं जाए
-सहायक लोको पायलट को न्यूनतम 2800 और गार्ड को 4200 ग्रेड पे दिया जाए
-गुड्स ट्रेनों को बिना गार्ड चलाना बंद किया जाए
-लोको पायलट और गार्ड की सभी रिक्तियां शीघ्र भरी जाए
-एमएसीपी के अनुसार तीन फाइनेंसियल अपग्रेडेशन दिया जाए
संरक्षा को खतरा, अफसर मौन
एक तरफ ट्रेन ड्राइवर और गार्ड भूख हड़ताल पर चले गए हैं वहीं दूसरी ओर रेलवे इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा। हड़ताल के कारण भूखे पेट ट्रेनें दौड़ा दी गई। जबकि संरक्षा मानकों के अनुसार ड्राइवरों और गार्ड को समुचित विश्राम और खाना देने के बाद ही ट्रेन चलाया जाना चाहिए। यहीं कारण है कि रनिंग रूम में उनके लिए समय पर खाना मुहैया कराया जाता है। सिग्नल देखकर ट्रेनें दौड़ाते समय खाली पेट रहने पर ड्राइवरों की तबियत बिगड़ सकती है। ऐसे में हजारों यात्रियों की सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है। इससे पहले भी हार्ट अटैक से दिसंबर 2007 में वाराणसी इंटरसिटी के ड्राइवर की उतरेटिया पहुंचने तक मौत हो गयी थी।