स्कूल से ही शुरू हो पर्यावरण शिक्षा
-पृथ्वी दिवस पर हुए विभिन्न कार्यक्रम जागरण संवाददाता, लखनऊ मौका था विश्व पृथ्वी दिवस का। जगह-जगह
-पृथ्वी दिवस पर हुए विभिन्न कार्यक्रम
जागरण संवाददाता, लखनऊ मौका था विश्व पृथ्वी दिवस का। जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और तेजी से चुकते प्राकृतिक संसाधनों पर चिंता भी दिखाई दी। बस जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण के प्रति लोग केवल एक दिन चिंता व्यक्त कर अपने दायित्वों की इतिश्री न कर पूरे वर्ष ऐसी कोशिशें करें कि पर्यावरण को कुछ राहत मिलें।
पृथ्वी इनोवेशंस और आचलिक विज्ञान नगरी द्वारा संयुक्त रूप से पृथ्वी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पृथ्वी दिवस का इस वर्ष का मुख्य विचार बिंदु 'संधारणीय पृथ्वी' है। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण 'अन्नपूर्णा यज्ञ' रहा जिसमें विद्यार्थियों एवं दर्शकों ने एक-एक मुठ्ठी अनाज दान किया। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अन्न की कीमत व इसकी उपयोगिता बताना था। साथ ही लोगों को भोजन की बर्बादी के बारे में भी जागरूक करना था। 'जनहित जागरण' के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में लोगों को संकल्प दिलाया गया कि वह अन्न बर्बाद नहीं करेंगे, अन्नपूर्णा यज्ञ में एक-एक मुठ्ठी दाल या चावल की आहूति देंगे, अन्नपूर्णा रसोई से जुड़ कर कुपोषित बच्चों व अशक्त वरिष्ठजनों को एक वक्त का भोजन उपलब्ध कराएंगे और घर से निकलने वाले जैविक वेस्ट की चटनी तैयार कर घर में ही पेड़-पौधों के लिए खाद तैयार करेंगे।
पृथ्वी इनोवेशंस की अनुराधा गुप्ता ने बताया कि इन चार संकल्पों को यदि जीवन में लागू कर लेंगे तो पृथ्वी को काफी हद तक राहत मिलने के साथ अन्न की बर्बादी रुक सकेगी।
कार्यक्रम में करीब 340 विद्यार्थियों एवं दर्शकों ने भाग लिया। थैलों पर चित्रकारी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। स्कूली बच्चों ने स्किट, गाने एवं नाटक के माध्यम से अनाज की बर्बादी रोकने का संदेश भी दिया।
इस मौके पर 'आशा के बीज' प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। आंचलिक विज्ञान नगरी के परियोजना समंवयक उमेश कुमार व बीरबल साहनी पुरा साइंसेस संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक डॉ.सीएम नौटियाल भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
सी-कार्बन्स संस्था द्वारा गोमती नगर स्थित एसकेडी एकेडमी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ आइएएस अधिकारी वीएन गर्ग ने कहा कि पर्यावरणीय शिक्षा का अभाव है। जरूरत इस बात की है कि स्कूल स्तर पर ही स्टूडेंट्स को शिक्षित किए जाने की जरूरत है। पूर्व पर्यावरण निदेशक ओपी वर्मा ने कहा कि मानव ने पर्यावरण को इस कदर नुकसान पहुंचाया है कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के प्रो.ध्रुवसेन सिंह ने कहा कि जल, थल व मृदा से ही जीवन संभव है। हम पर्यावरण को जितना नुकसान पहुंचा चुके हैं उसे ठीक करने की क्षमता तो हमारे पास नहीं है। बस हम उसे कम कर सकते हैं। इसके लिए गंभीर उपायों व जागरूकता की जरूरत है।