'भविष्य' ने पलटे इतिहास के पन्ने
दैनिक जागरण ने विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित की हेरिटेज वॉक जागरण संवाददाता, लखनऊ : देश में पहले स्वत
दैनिक जागरण ने विश्व धरोहर दिवस पर आयोजित की हेरिटेज वॉक
जागरण संवाददाता, लखनऊ : देश में पहले स्वतंत्रता संग्राम के निशां आज भी शहर की ऐतिहासिक धरोहरों पर साफ देखे जा सकते हैं। चाहे बेगम हजरत महल पार्क हो या फिर सआदत अली खां का मकबरा और परी खाना, स्कूली बच्चों ने जब इन धरोहरों को देखा तो इतिहास के कई पन्ने खुलते चले गए। मौका था विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर दैनिक जागरण की ओर से आयोजित हेरिटेज वॉक का।
दिल्ली पब्लिक स्कूल गोमतीनगर विस्तार शाखा के बच्चों को शहर की धरोहर से रूबरू इतिहासकार रवि भट्ट ने कराया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी धरोहर का सम्मान करना चाहिए। धरोहर दो तरह की होती है। एक तो हमें भवन आदि के रूप में दिखाई देती है और दूसरी संगीत जैसी अदृश्य धरोहर। लखनऊ नवाबकाल की वजह से जाना जाता है। नवाबकाल की नींव मुगल बादशाह सम्राट अकबर के शासनकाल में पड़ी। सबसे पहले उन्होंने ही सत्ता नियंत्रण के लिए सल्तनत को पांच सूबों में बांटा। इसमें लखनऊ से जुड़ा क्षेत्र अवध बना। यहां उन्होंने नवाब को शासन के लिए तैनात किया। नवाबकाल के दौरान ही लखनऊ में धर्मनिरपेक्ष संस्कृति का प्रसार हुआ। यही कारण है कि आजादी के बाद जहां विभाजन के कारण देश भर में कई बड़े बड़े दंगे हुए, वहीं लखनऊ में सभी धर्मो को लोगों के बीच आपसी सद्भाव बना रहा। हैदराबाद की शेरवानी की ही तरह लखनऊ का अचकन है। वहीं यहां मुगलई और ईरानी व्यंजन का स्वाद आज भी बरकरार है। इतिहासकार रवि भट्ट ने बच्चों को बेगम हजरत महल का इतिहास बताया। उन्होंने बताया कि कैसे पहले स्वतंत्रता संग्राम में वह हाथी पर बैठकर अंग्रेजों का न केवल सामना करती थीं, बल्कि उनको एक बार पराजित भी किया था। वहीं अवध के छठे शासक नवाब सआदत अली खां का मकबरा उनके शहजादे और सातवें नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने बनवाया था। बताया जाता है कि सन् 1858 के दौरान जब पल्टन छावनी और रेजीडेंसी में चर्च को भारी नुकसान हुआ तो यहीं पर अंग्रेजों ने चर्च के रूप में अपनी प्रार्थना की थी। इस मौके पर रवि ने बच्चों से लखनऊ के इतिहास को लेकर कई सवाल पूछे, जिनका जवाब बच्चों ने बखूबी दिया। हेरिटेज वॉक में स्कूल की शिक्षिका मधु सिंह, शिप्रा टंडन, सोनिका बहादुर, अहमद और प्रत्युष गुप्ता भी शामिल हुए।