समाज को दिया प्रेम का संदेश
लखनऊ : लोक संगीत की धुन के साथ कालबेलिया डास कलाकारों ने समाज को आपसी प्रेम और सद्भाव का संदेश दिया।
लखनऊ : लोक संगीत की धुन के साथ कालबेलिया डास कलाकारों ने समाज को आपसी प्रेम और सद्भाव का संदेश दिया। सोमवार को राजस्थानी लोक संस्कृति की महक के साथ 'नागिन तेरा वंश बढ़े' नाटक का मंचन कर दर्शकों को दमदार अभिनय से भावविभोर कर दिया।
भारतेंदु नाट्य अकादमी (बीएनए) रंगमंडल की ओर से गोमती नगर स्थित अकादमी के थ्रस्ट सभागार में नाटक का मंचन किया गया। अकादमी के कलाकारों ने अपने दमदार अभिनय से इंसानी जज्बात को उजागरकर कर दर्शकों की तालियां बटोरी। लेखक विजयदान देथा के लिखे नाटक में निर्देशन की कमान अवतार साहनी ने संभाली। राजस्थान की लोक कथा पर आधारित नाटक की कहानी एक सेठ के परिवार पर केंद्रित है। शादी के कई साल बीतने के बाद भी सेठ को कोई औलाद नहीं होती हैं। पिता न बन पाने की वजह से वह हमेशा परेशान रहता है। सेठ को खुश करने के लिए सेठानी एक ढोंग रचती है। वह अपने पति को यकीन दिलाती है कि वह मा बनने वाली है, लेकिन 16 साल तक कोई भी बच्चे को देख नहीं सकेगा। वह शर्त रखती है कि बच्चा दासी के पास रहेगा। पुत्र के प्रेम में सेठ उसकी शर्त मान लेता है। जैसे तैसे 16 साल का समय बीत जाता है। सेठानी झूठ बोलकर अपने पुत्र की झूठी शादी रचाती है। बारात एक बावड़ी से गुजर रही होती है तभी वहां एक इच्छाधारी नाग नागिन की निगाह उसपर पड़ती है। नागिन को इस छलावे का पता चल जाता है, लेकिन वह सेठानी के पुत्र की जगह अपने इच्छाधारी नाग को भेज देती है। नाग सेठानी का पुत्र बनकर वैवाहिक जीवन बिताने लगता है। नाग को आम व्यक्ति का वैवाहिक जीवन जीने में आनंद आने लगता है। वह नागिन को भूल जाता है। नागिन नाग को वापस लाने के लिए सारे जतन करती है, लेकिन बात नहीं बनती। अंत में नागिन सेठानी को सारी सच्चाई बताती है। इसके बाद इच्छाधारी नाग-नागिन सहित सभी लोग एक छत के नीचे हंसी खुशी रहने लगते हैं। नाटक में हेमा बिष्ट, शिवम, महक राजपूत व अपर्णा सहित अन्य कलाकारों ने दमदार प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।