रस्मी परेड का नेतृत्व कर कर्नल रीतिका ने रचा इतिहास
लखनऊ : सेना मेडिकल कोर के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी महिला अधिकारी ने रस्मी परेड की कमान संभाली
लखनऊ : सेना मेडिकल कोर के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी महिला अधिकारी ने रस्मी परेड की कमान संभाली। इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए छावनी स्थित प्लेटिनम जुबली स्टेडियम में जितनी बेचैनी सेना के अफसरों को थी, उतनी ही इस महिला अधिकारी कर्नल रीतिका के परिवारीजनों को भी। वे मुंबई से इस पल को देखने के लिए लखनऊ आए थे।
तीन दिवसीय एएमसी केंद्र एवं कॉलेज के पुनर्मिलन समारोह और द्विवार्षिक सम्मेलन का रस्मी परेड के साथ समापन हो गया। इस मौके पर ले. इप्पा वाई के नेतृत्व वाली सेना मेडिकल कोर की एडम बटालियन, कैप्टन विभूता साही के नेतृत्व में 2 मिलिट्री ट्रेनिंग बटालियन, कैप्टन एसके सिंह के साथ एक मिलिट्री ट्रेनिंग बटालियन, ले. सुरेंद्र सिंह के नेतृत्व में 2 तकनीकी ट्रेनिंग विंग और ले. आरएन मिश्र के साथ एक तकनीकी ट्रेनिंग विंग के 332 जवानों, नौ अफसरों और 16 जेसीओ ने रस्मी परेड निकाली। परेड का निरीक्षण महानिदेशक चिकित्सा सेवा आर्मी ले. जनरल वेलु नायर ने किया। नंबर एक टीटी विंग की डिप्टी कमांडर कर्नल रीतिका करखानिश को परेड का नेतृत्व करने का अवसर मिला। एएमसी कोर में 1995 में कमीशंड हासिल करने वाली कर्नल रीतिका एक महीने से इस परेड की तैयारी कर रही थी। उनको दो दिन पहले ही बताया गया कि परेड की कमान उनको ही संभालनी है। पहली बार एएमसी में महिला अधिकारी के परेड की कमान संभालने के ऐतिहासिक पल को देखने उनके पिता सुभाष मजूमदार और मां सुप्रिया मुंबई से आई। जबकि सास सुधा करखानिश एक सप्ताह पहले घुटने का ऑपरेशन होने के बावजूद वॉकर के सहारे आई। सेना से अवकाशप्राप्त मेजर ससुर बी.बी. करखानिश भी समारोह में शामिल हुए। परेड के बाद कर्नल रीतिका को बधाइयां देने के लिए तांता लग गया। कर्नल रीतिका ने कहा कि यदि मन में विश्वास हो तो मंजिल हासिल की जा सकती है।
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आइटी में भी दक्ष होंगे सेना के डॉक्टर
रस्मी परेड का निरीक्षण करने के बाद महानिदेशक सैन्य चिकित्सा सेवा आर्मी ले. जनरल वेलु नायर ने कहा कि मेडिकल के क्षेत्र में आज आइटी का बोलबाला है। हमें चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी महारत को कायम रखने के लिए आइटी में भी दक्ष होना होगा। इसके लिए 250 से 260 मेडिकल ऑफिसरों को आइटी के कोर्स कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सेना मेडिकल कोर के सैनिक बहादुरी दिखाने के साथ इलाज भी करते हैं। यहीं उनकी विशेषता है।
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वायुसेना बनी विजेता
तीन दिनों तक मरीजों की देखभाल का कौशल परखने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण पर आधारित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें वायुसेना की टीम को विजेता घोषित करते हुए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। जबकि नौसेना की टीम को उपविजेता घोषित किया गया। लड़ाई में घायल मरीजों की देखभाल के लिए आयोजित प्रतियोगिता में पूर्वी कमान की टीम को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। जबकि पश्चिमी कमान उपविजेता रही।