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कई जिंदगियों को खूबसूरती दे गया सुंदर

लखनऊ : 53 घंटे जिंदगी की जंग लड़ने के बाद 25 वर्षीय नौजवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया। मगर, जाते-जात

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 06:58 PM (IST)
कई जिंदगियों को खूबसूरती दे गया सुंदर

लखनऊ : 53 घंटे जिंदगी की जंग लड़ने के बाद 25 वर्षीय नौजवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया। मगर, जाते-जाते वह कइयों को जिंदगी दे गया। आलम यह रहा कि सुबह युवक की जब सांसें थमीं तो परिजनों में जहां एक ओर उसे खोने का गम था, वहीं कइयों का जीवन बचाने का गर्व भी। यह संभव हुआ बड़े भाइयों द्वारा अंगदान करने के फैसले से।

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दरअसल गोरखपुर के ब्लॉक कौढ़ीराम के कोठा निवासी सुंदर सिंह (25) दुर्घटना में घायल हो गया था। 24 जुलाई शाम छह बजे गंभीरपुर पेट्रोल पंप के पास हुए हादसे के बाद मित्र शक्ति सिंह व परिजन मार्कडेय उसे लेकर स्वास्थ्य केंद्र भागे। यहां से जवाब मिलने के बाद शहर के दो निजी चिकित्सालय गए, मगर एक-एक कर सभी डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। सिर में गंभीर चोट होने के चलते सुंदर सिंह को केजीएमयू रेफर कर दिया गया। परिजन 25 जुलाई को सुबह चार बजे सुंदर को लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे।

किया प्रयास, नहीं हुआ सुधार

ट्रामा सेंटर में सीटी स्कैन होने के बाद सुंदर को न्यूरो इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया। इसके बाद दिक्कत बढ़ने पर टीयूवी यूनिट में वेंटीलेटर पर भर्ती किया गया। भाई धर्मेद्र के मुताबिक डॉक्टरों ने काफी प्रयास किया, मगर 26 जुलाई को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। 27 जुलाई शाम सात बजे परिजनों ने अंगदान करने का फैसला किया।

एक घंटे में निकाले पांच अंग

सुंदर सिंह को डॉक्टरों ने वेंटीलेटर यूनिट से गुरुवार सुबह सात बजे ओटी में शिफ्ट किया। यहां गैस्ट्रोसर्जरी, यूरोलॉजी व नेत्र रोग विभाग की टीम ने अंग संरक्षित करने शुरू किए। प्रो. अभिजीत चंद्रा, डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. परेवज, डॉ. मनमीत सिंह, डॉ. साकेत, डॉ. प्रदीप जोशी, डॉ. विशाल गुप्ता की टीम ने पांच अंग एक घंटे में निकालकर संरक्षित कर लिए।

लिवर दिल्ली-किडनी पीजीआइ

सुंदर के शरीर से निकाला गया लिवर दिल्ली स्थित अपोलो हॉस्पिटल भेजा गया। वहीं दोनों किडनी एसजीपीजीआइ को दी गई जबकि दोनों कार्निया केजीएमयू में संरक्षित हैं। ये अंग पांच लोगों को प्रत्यारोपित किए जाएंगे।

तीन माह बाद फिर मिले अंग

केजीएमयू में पूर्व वीसी डॉ. डीके गुप्ता ने दिसंबर 2014 में कैडेवर ट्रांसप्लांट की शुरुआत की थी। केजीएमयू में अब तक 18 ब्रेन डेड मरीजों के अंग प्राप्त कर दूसरों को जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें 15 लिवर व 22 किडनी रहीं। वहीं इस वर्ष 20 अप्रैल को त्रिवेणीनगर निवासी विनीता सक्सेना ने अंगदान किया था। महत्वपूर्ण तथ्य

- देश में ढाई लाख लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत होती है

- दो लाख को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है

- लाइव डोनर की अपेक्षा कैडेवर व ब्रेनडेड से प्राप्त अंगों का ट्रांसप्लांट ज्यादा सुरक्षित

- हर वर्ष पांच लाख लोग किडनी, लिवर जैसे अंगों के फेल होने से मौत का शिकार होजाते हैं।

- अपनों को बचाने के लिए प्रति वर्ष 4000 लोग किडनी व 500 लोग लिवर दान करते हैं।

इनका हो सकता है प्रत्यारोपण

- लिवर, किडनी, कार्निया, पैंक्रियाज, हार्ट, फेफड़े, बोनमेरो, आंत

क्या है कैडेवर

कैडेवर यानी ऐसा व्यक्ति जो वेंटीलेटर पर हो और जिसका ब्रेनडेड हो गया हो और उसके ठीक होने की कोई संभावना न हो। सिर में गंभीर चोट लगने व ब्रेन स्ट्रोक होने पर होता है ब्रेन डेड। चार विशेषज्ञों की टीम ऐसे मरीज के ब्रेन डेड होने का सर्टिफिकेट जारी करती है।


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