ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत, भगाया
लखनऊ : केजीएमयू के डॉक्टरों ने संवेदनहीनता की हद पार कर दी। ऑपरेशन के बाद बिगड़ी बच्चे की हालत पर उन्
लखनऊ : केजीएमयू के डॉक्टरों ने संवेदनहीनता की हद पार कर दी। ऑपरेशन के बाद बिगड़ी बच्चे की हालत पर उन्होंने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए। परेशान परिजनों ने काफी फरियाद की, मगर वह नहीं पसीजे। लिहाजा सोमवार को उसे वार्ड से जबरन निकाल दिया गया।
मामला पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग का है। जयसी खेड़ा बंथरा निवासी सौरभ (1) को हार्निया की शिकायत थी। पिता राजकिशोर ने केजीएमयू में गत सप्ताह बच्चे को भर्ती कराया था। पीडियाट्रिक सर्जन ने 21 जुलाई को सौरभ का ऑपरेशन किया। इसके बाद बच्चे को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। राजकिशोर के मुताबिक वार्ड में शिफ्टिंग के बाद बच्चे को तेज बुखार व अंडकोष में भी सूजन आ गई। इसके अलावा उसके पेट में भी दिक्कत हो रही थी। आरोप है कि ऑपरेशन गड़बड़ाने की आशंका को लेकर डॉक्टर घर जाने का दबाव बनाने लगे।
वार्ड से जबरन निकाला
राजकिशोर के मुताबिक डॉक्टर ने शनिवार को सौरभ को ठीक बताकर डिस्चार्ज करने को कहा। मगर बच्चे की तबीयत खराब होने की वजह से जाने से उसने इन्कार कर दिया। आरोप है कि नाराज डॉक्टर रविवार को बच्चे को देखने भी नहीं आए, वहीं सोमवार सुबह आकर बगैर डिस्चार्ज स्लिप दिए वार्ड से बाहर निकालने का फरमान सुना दिया। इसके बाद परिजनों को बच्चे के साथ बाहर कर दिया गया। इस दौरान राजकिशोर व पत्नी ¨रकी बच्चे के इलाज के लिए गिड़गिड़ाते रहे मगर डॉक्टरों ने एक न सुनी।
शाम को थमाई डिस्चार्ज स्लिप
राजकिशोर ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा भर्ती न करने पर डिस्चार्ज स्लिप देने के लिए भी घंटों फरियाद की। मगर, सुबह 11 बजे वार्ड से बाहर करने के बाद पांच बजे के करीब स्लिप दी गई।
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- मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। परिजन को कोई दिक्कत है तो मुझसे आकर मिलें, जो भी दिक्कत होगी दूर की जाएगी।
- डॉ. वेद प्रकाश, उप चिकित्सा अधीक्षक
- मैंने संबंधित डॉक्टर से फोन पर पूरी जानकारी ली है, उन्होंने बच्चे की हालत ठीक बताई है। कभी-कभार ऑपरेशन के बाद अंडकोष में सूजन आ जाती है। इसके सुधार में 45 दिन का वक्त लगता है। मरीज के आरोप बेबुनियाद हैं, वह यूजर चार्ज जमा करने में आनाकानी कर रहा था।
- डॉ. एसएन कुरील, विभागाध्यक्ष