राजनीति से ऊपर विकास ... आगे की राह दिखा गया जागरण फोरम
जागरण फोरम माध्यम और साक्षी बना राजनीति व समाज की उस सामूहिक छटपटाहट का जिसका निदान हुआ तो प्रधानमंत्री देने वाले प्रदेश का विकास केवल कुछ ही समय की बात रह जाएगी।
लखनऊ [आशुतोष शुक्ल] । तीन वक्ता , तीन सत्र , लेकिन तीनों के भाषण का सार उत्तर प्रदेश का विकास। राजनीतिक पैंतरेबाजी भरपूर , एक दूसरे की काट भी कम नहीं , अपने को बेहतर सिद्ध करने की होड़ भी बदस्तूर किंतु इन सबके साथ , इन सबसे ऊपर उस प्रदेश की खुशहाली की चिंता , जिसकी संभावनाओं से किसी को इन्कार नहीं पर जिसके पिछड़ेपन की त्रासदी भी कम नहीं। जागरण फोरम माध्यम और साक्षी बना राजनीति व समाज की उस सामूहिक छटपटाहट का जिसका निदान हुआ तो प्रधानमंत्री देने वाले प्रदेश का विकास केवल कुछ ही समय की बात रह जाएगी।
अपने सामाजिक सरोकारों , लोकतंत्र और देश - प्रदेश व समाज के चतुर्दिक विकास के लिए प्रतिबद्ध दैनिक जागरण ने सोमवार को राजधानी लखनऊ में वैचारिक आदान प्रदान का वह मंच सजाया जहां आकर विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख हस्ताक्षरों ने अपनी बात रखी। अर्थशास्त्री डा . अरविंद मोहन ने आंकड़ों के साथ कहा कि कभी का बीमारू उत्तर प्रदेश अब विकास की राह पर है क्योंकि उसकी चार फीसद की विकास दर अब साढ़े छह प्रतिशत हो चुकी है। उनका यह तथ्य चौंकाने वाला किंतु राहत भरा भी था कि विकास के सभी मानकों पर उत्तर प्रदेश अन्य विकसित राज्यों की तुलना में कुलांचे भर रहा है।
डा . अरविंद मोहन के आधार भाषण के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन कठिनाइयों का उल्लेख किया जो उन्हें दो भिन्न प्रकृति की केंद्र सरकारों के साथ काम करते हुए महसूस हुईं। साथ ही सड़क और बिजली क्षेत्र में किये गए सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी जोड़ा कि सपा सरकार के शेष कार्यकाल में वह आगे उन योजनाओं की बुनियाद रखेंगे जिनका उद्घाटन वह भले न कर सकें लेकिन जो दूरगामी प्रभाव वाली होंगी। उन्होंने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया कि प्रदेश का विकास वह राजनीति से ऊपर रखेंगे।
फोरम के अंतिम सत्र में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह कहकर सदन को यूपी के भविष्य के प्रति आश्वस्त किया कि उनकी पार्टी केवल उसी नेता को आगे बढ़ायेगी जो भाजपा के विकास के एजेंडे को कार्यान्वित करता दिखेगा। अमित शाह से पहले केंद्रीय ऊर्जा व कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने भी उत्तर प्रदेश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
अन्य वक्ताओं ने भी उत्तर प्रदेश की विकास चिंताओं को समझा। सबसे खास बात उन दर्शकों की रही जिन्होंने इस विषय पर तीखे प्रश्न पूछने में कसर नहीं उठा रखी। दाल के दाम और दलहन की कम होती खेती से लेकर लखनऊ कानपुर की सड़कों , बिजली की उपलब्धता और कानून व्यवस्था की खराब दशा तक भरपूर सवाल उठाये गए। राजनीति के प्रमुखों को अपने बीच पाकर सदन उत्साहित और मुखर था। इसीलिए अंत में यही आश्वस्ति लेकर फोरम पूर्ण हुआ कि -बढ़ेगा प्रदेश तो बनेगा देश।