नौकरी पेशा पत्नी से रिश्ते सुधारने की दी सीख
-नाटक 'आफत गले पड़ी है' ने दिया रिश्तों को संजोकर रखने का संदेश जागरण संवाददाता, लखनऊ : पत्नी जब
-नाटक 'आफत गले पड़ी है' ने दिया रिश्तों को संजोकर रखने का संदेश
जागरण संवाददाता, लखनऊ : पत्नी जब बाहर मेहनत करके पैसे कमाती है तो, निश्चित ही घर में पतियों पर हावी तो रहेंगी। पतियों से घर का काम भी कराएंगी। शनिवार को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में मंचित नाटक 'आफत गले पड़ी है' में ऐसी ही कहानी दिखाई गई है। नाटक में पति-पत्नी को रिश्तों में आदर और प्रेमभाव रखने का संदेश दिया गया।
नाटक की कहानी तीन दोस्तों के इर्द गिर्द घूमती है। तनुज मनोज और धनंजय दोस्त है। तनुज और मनोज का विवाह धनंजय से पहले हो जाता है। धनंजय साहित्यकार होता है। जबकि तनुज और मनोज प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनका विवाह भी प्राइवेट नौकरी करने वाली कामिनी व रागिनी से होता है। शादी के बाद से ही तनुज और मनोज घर में रहते हैं और उनकी पत्नी ऑफिस जाती है। घर पर दोनों पति कपड़े धोते है, घर में झाड़ू-पोछे का काम भी करते हैं। दोनों की पत्िनयों के आगे एक भी नहीं चलती। इस बात का पता जब धनंजय को लगता है तो वो बड़ी ही समझदारी से अपनी दोस्त वर्षा के जरिए दोनों की बीवियों को सुधार देता है। हास्य संवादों से भरपूर इस नाटक का अंत में रिश्तों को अहमियत देने का संदेश देता है। नाटक में झईयन, तनुज व मनोज ने अपनी अदाकारी से सभी को खूब हंसाया है। बुद्धम थियेटर सोसायटी की ओर से नाटक का मंचन हुआ। ज्ञान आर्य के लिखे इस नाटक का निर्देशन अमित दीक्षित ने किया। नाटक में सुशील लोहार, तान्या सूरी, राजू यादव, काजल मिश्रा, प्रदीप मित्रा, कीर्तिका श्रीवास्तव, नवनीत कौर, विवेक, मधु आदि कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है।