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गिनीज बुक में स्थानः 3800 गानों से समीर ने रचा इतिहास

शब्दों को गीतों में पिरो कर हिंदी पïट्टी के सिने प्रेमियों के कानों में मिठास घोलते-घोलते ख्यात गीतकार समीर ने इतिहास रच दिया। गिनीज बुक की टीम 15 फरवरी को मुंबई में इसकी विधिवत घोषणा करेगी और प्रमाण पत्र सौंपेगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 10:23 PM (IST)
गिनीज बुक में स्थानः  3800 गानों से समीर ने रचा इतिहास

लखनऊ। शब्दों को गीतों में पिरो कर हिंदी पïट्टी के सिने प्रेमियों के कानों में मिठास घोलते-घोलते ख्यात गीतकार समीर ने इतिहास रच दिया। एक इंडस्ट्री व एक ही भाषा की 650 फिल्मों के लिए 3800 गीत रचने वाले काशी के इस लाल की उपलब्धियों को वल्र्ड रिकार्ड मानते हुए गिनीज बुक में शामिल कर किया गया है। दो दिन पहले सोमवार को वल्र्ड रिकार्ड मानीटरिंग संस्था की ओर से उन्हें इसकी जानकारी दी गई। गिनीज बुक की टीम 15 फरवरी को मुंबई में इसकी विधिवत घोषणा करेगी और प्रमाण पत्र सौंपेगी।

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जीवट के धनी रचनाकार की उपलब्धियों से अभिभूत होकर गिनीज बुक को विशेष कैटेगरी बनानी पड़ी। इसे 'बालीवुड मोस्ट प्रोफीलिक लायरिस्ट' (हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सर्वाधिक गीत लिखने वाले गीतकार) श्रेणी नाम दिया गया है। अब तक बालीवुड से आशा भोसले सर्वाधिक गीत गायन और दिलीप कुमार सबसे अधिक फिल्म फेयर अवार्ड के लिए गिनीज बुक अवार्ड में शामिल हैं। समीर की उपलब्धियों को वल्र्ड रिकार्ड में शामिल करने के लिए टीम दो साल से काम कर रही थी। गिनीज बुक से संपर्क करने पर बताया गया कि ऐसी कोई श्रेणी नहीं लेकिन उपलब्धियों की लंबी सूची को देखते हुए ब्योरा मांग लिया गया। गिनीज बुक टीम ने समीर के 3800 गीतों व 650 फिल्मों का दो साल तक अध्ययन किया। बालीवुड प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर व राइटर्स एसोसिएशन से इसकी पुष्टि की और भारत के खाते में एक नए विश्व रिकार्ड पर मुहर लग गई।

उपलब्धियां बाबा को समर्पित : समीर

वाराणसी में पिंडरा विकास खंड के ओदार गांव निवासी शीतला प्रसाद पांडेय ने पिता ख्यात गीतकार अनजान की राह पर चलते हुए 1980 में मुंबई का रुख किया। अपने पहले ही गीत 'राजा तेरे रस्ते से हट जाऊंगी...' से पहचान बनाई और समीर के नाम से जाने गए। आशिकी, साजन, दिल, सड़क, राजा हिंदुस्तानी, हम हैं राही प्यार के, आदमी खिलौना है.., दिलवाले समेत फिल्मों और गीतों की सूची लंबी होती चली गई। समीर की उपलब्धियां किसी नाम और पहचान की मोहताज नहीं, लेकिन इस 'ताज' पर प्रफुल्लित गीतकार ने इसका श्रेय काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ को दिया।


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