कालेधन का इंजीनियर यादव सिंह फिर सीबीआइ के हवाले
कालेधन के इंजीनियर यादव सिंह को अदालत ने पूछताछ के लिए पुन: पांच दिन की रिमांड पर सीबीआइ को सौंप दिया है। सीबीआइ लोक अभियोजक ने आठ दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन सीबीआइ अदालत की विशेष जज जी. श्रीदेवी ने पांच दिन की रिमांड मंजूर की।
लखनऊ। कालेधन के इंजीनियर यादव सिंह को अदालत ने पूछताछ के लिए पुन: पांच दिन की रिमांड पर सीबीआइ को सौंप दिया है। सीबीआइ लोक अभियोजक ने आठ दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन सीबीआइ अदालत की विशेष जज जी. श्रीदेवी ने पांच दिन की रिमांड मंजूर की। पेशी के दौरान अदालत परिसर में मीडिया की एंट्री पर रोक लगी थी। तीन फरवरी को सीबीआइ ने यादव सिंह को गिरफ्तार कर अगले दिन सीबीआइ अदालत में पेश किया था। तब अदालत ने उसे छह दिन की रिमांड पर भेजा था। आज रिमांड पूरी होने पर सीबीआइ ने दोपहर को दोबारा उसे पेश किया तो अदालत ने 15 फरवरी तक रिमांड पर भेज दिया।
अदालत में यादव सिंह के अधिवक्ता अमित खेमका ने कहा कि सीबीआइ अनावश्यक रूप से प्रताडि़त कर रही है। बचाव पक्ष की बातों का विरोध करते हुए सीबीआइ के वरिष्ठ लोक अभियोजक बालकरण ने कहा कि पहले 954 करोड़ रुपये के मामले में पूछताछ की गई थी। उसमें पता चला है कि यादव सिंह ने 2007 से 2012 तक लगभग एक हजार करोड़ रुपये के करीब दो हजार टेंडर छोड़े थे, जिसमें 1280 प्रोजेक्टों पर काम शुरू हुआ था। इन कार्यों में बड़ा घोटाला हुआ है, इसलिए पूछताछ के लिए आठ दिन की रिमांड दी जाए।
बता दें यादव सिंह के खिलाफ तीस जुलाई को सीबीआइ ने मामला दर्ज कराया था। यादव सिंह ने 2011 में एक सप्ताह के अंदर चार बिल्डरों को 954.38 करोड़ रुपये के ठेके दिए थे, जिसमें टेंडर होने से पहले ही साठ फीसद काम पूरे हो चुके थे और सभी का पूरा भुगतान कर दिया गया था। क्वालिटी कंट्रोल एंजेंसी ने जांच रिपोर्ट में बताया था कि काम समाप्त होने के बाद टेंडर दिए गए थे। इस मामले के सह अभियुक्त व सहायक परियोजना निदेशक रामेंद्र सिंह को सीबीआइ 17 दिसंबर को गिरफ्तार कर चुकी है। रामेंद्र के मामले में सुनवाई के लिए अदालत ने 15 फरवरी सुनिश्चित की है। सीबीआइ सूत्रों की मानें तो पूछताछ में यादव ङ्क्षसह ने पूर्व सरकार के मंत्रियों के भी नाम बताए हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश के एक बड़े नेता का नाम भी यादव ङ्क्षसह ने लिया है। जल्द ही कुछ खास लोगों से भी पूछताछ की जा सकती है।
नहीं आए लाभ लेने वाले
यादव सिंह के कुर्सी पर रहने के दौरान उसके आगे-पीछे घूमने वाले बिल्डर और अधिकारी भूमिगत हो गए हैं। हालांकि चार फरवरी को पहली बार सीबीआइ अदालत में पेशी के दौरान यादव सिंह के कुछ करीबी परिसर के बाहर दिखाई दिए, लेकिन आज पेशी के दौरान सिर्फ यादव सिंह का बेटा ही साथ रहा।
सरकारी गवाह बनने को तैयार कई अफसर
यादव सिंह प्रकरण में सीबीआइ के शिकंजे में आ रहे अधिकारी अब अपनी जान बचाने की फिराक में लगे हैं। बार-बार सीबीआइ की पूछताछ में स्वयं को फंसते देख कई अधिकारी सरकारी गवाह बनने को तैयार हो गए हैं, जबकि कई अधिकारी ऐसे हैं जो अभी भी यादव सिंह का दामन छोडऩे को तैयार नहीं हैं। सीबीआइ ने यादव सिंह प्रकरण की जांच करते हुए करीब 137 लोगों को अपनी सूची में शामिल कर लिया है। इनमें कई प्राधिकरण अधिकारी, यादव सिंह के रिश्तेदार, बिल्डर, ठेकेदार, प्रापर्टी डीलर और उद्यमी हैं। इन 137 लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है। इससे यादव सिंह से जुड़ी काफी बातें सीबीआइ को पता लग रही हैं। सबसे अधिक जानकारी वे लोग दे रहे हैं, जो सीबीआइ के शिकंजे में पूरी तरह फंस चुके हैं और जान बचाने के लिए सरकारी गवाह बनने को तैयार हैं। कई अधिकारी ऐसे भी हैं जो सीबीआइ से कह चुके हैं कि वे सरकारी गवाह नहीं बनेंगे। अब सीबीआइ प्राधिकरण व अन्य सरकारी विभागों में तैनात यादव सिंह के रिश्तेदारों को घेरने की तैयारी कर रही है। इनमें कई ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर यादव सिंह के टेंडर प्रकरण से नहीं जुड़े हैं, जबकि एक-दो ऐसे हैं जो भूमिगत केबल के मामले में जुड़े हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में सीबीआइ कई ठेकेदारों को गिरफ्त में लेने की तैयारी कर रही है।