गंगा में मूर्ति विसर्जन को कोर्ट पहुंचे अविमुक्तेश्वरानंद, कल सुनवाई
काशी के संतों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर याचिका में गंगा में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक न लगाने का आग्रह किया गया है। स्वामी जी ने याचिका में विश्वास दिलाया है कि गंगा की निर्मलता
लखनऊ। काशी के संतों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दायर याचिका में गंगा में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक न लगाने का आग्रह किया गया है। स्वामी जी ने याचिका में विश्वास दिलाया है कि गंगा की निर्मलता अक्षुण्ण रखी जाएगी। मूर्ति विसर्जन से गंगा में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होने देंगे। कोर्ट चाहे तो जांच भी करा सकता है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि गंगा में मूर्ति विसर्जन पर रोक न लगाने की बाबत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत में दाखिल की गई है। इस पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता के अनुसार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की याचिका वर्ष-2006 में टीकर माफी-अमेठी के हरिचेतन ब्रह्मïचारी जी महाराज की ओर से दाखिल याचिका से संबद्ध होगी। उक्त याचिका गंगा में पर्याप्त जलस्तर बनाए रखने की बाबत दाखिल की गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान वर्ष-2012 में सरकार के महाधिवक्ता ने मूर्ति विसर्जन से गंगा में प्रदूषण होने की बात कही थी, जिसके बाद कोर्ट ने गंगा में प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगा दी थी।
हालांकि इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान वर्ष-2014 में कोर्ट ने वाराणसी प्रशासन को गंगा में मूर्ति विसर्जन करने की छूट सशर्त प्रदान की थी। वर्ष-2015 में भी यह छूट जारी रखने के लिए बनारस की सार्वजनिक गणेशोत्सव समिति की ओर से याचिका दाखिल हुई। यह छूट अब भी बरकरार है, किंतु किन परिस्थितियों में प्रशासन ने 22 सितंबर को गणेश प्रतिमा का विसर्जन गंगा में करने से रोका, यह समझ से परे है।
शास्त्रों व वेद का हवाला
अधिवक्ता इंद्रमणि त्रिपाठी के अनुसार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपनी याचिका में निर्णय सिंधु, ऋग्वेद सहित विभिन्न शास्त्रों का हवाला देते हुए कोर्ट से गंगा में मूर्ति विसर्जन पर रोक न लगाने का आग्रह किया है। याचिका में स्वामी जी ने कहा कि यह प्रकरण लाखों लोगों की आस्था संग भारतीय संस्कृति व परंपरा से जुड़ा प्रश्न है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुख्य न्यायाधीश की अदालत में दाखिल याचिका की पुष्टि करते हुए विश्वास जताया कि कोर्ट से सकारात्मक परिणाम आएंगे।