प्रशिक्षु शिक्षक शिवकुमार पाठक की बर्खास्तगी अवैध
सरकारी स्कूलों में सरकारी अफसरों और नेताओं के बच्चों को पढ़ाने वाली याचिका दाखिल करने वाले बर्खास्त शिक्षक शिव कुमार पाठक को हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया है। साथ ही बीएसए और यूपी सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट में अपील करने और पैरवी करने के कारण बर्खास्त किये जाने
लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुलतानपुर के प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने बीएसए समेत कई अधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा है। शिवï कुमार पाठक ने ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी मंत्री, अफसर व सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं। इस आदेश के एक दिन पहले ही उसे बर्खास्त कर दिया गया था।
अपनी बर्खास्तगी को शिवकुमार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर गुरुवार को न्यायमूर्ति अमित स्थालेकर ने सुनवाई की। याचिका में मांग की गई थी कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश रद किया जाए और याची को उसके पद पर बहाल करते हुए भत्ता दिया जाए। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे और बीके सिंह उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि याची को अनुपस्थिति के आधार पर बर्खास्त किया गया जो कि गलत है। अनुपस्थित प्रशिक्षु शिक्षकों में सिर्फ याची के खिलाफ ही कार्रवाई की गई। इसके साथ ही यह तर्क भी रखा गया कि प्रशिक्षण के दौरान सर्विस रूल्स नहीं लागू होंगे। कोर्ट ने इस पर बर्खास्तगी पर रोक लगा दी। साथ ही अधिकारियों को नोटिस जारी की। गौरतलब है कि शिवकुमार पाठक ने प्राथमिक शिक्षकों के मामले में सरकार के खिलाफ याचिका दाखिल कर रखी है। इसी की सुनवाई में अदालत ने सरकार पर तल्ख टिप्पणियां की हैं। याची का कहना है कि सरकार ने बदले की भावना से उसके खिलाफ कार्रवाई की है। इधर शिव कुमार पाठक ने कहा कि न्यायपालिका में मेरी पूरी आस्था है। अंतत: न्याय मिला।