गंगा में मूर्ति विसर्जन के दौरान लाठीचार्ज में अविमुक्तेश्वरानंद समेत 40 घायल
वाराणसी के श्रीविद्यामठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा मैं संत हूं क्षमाशील हूं किसी से कोई शिकायत नहीं लेकिन बटुकों पर लाठीचार्ज यानी मारना सही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन मेरी हत्या कराना चाहता था लेकिन बटुकों ने बचा लिया।
लखनऊ। गणेश प्रतिमा को गंगा में विसर्जित करने की मांग को लेकर गत दिवस वाराणसी के गोदौलिया चौराहे पर चल रहे धरने में शामिल लोगों पर बीती रात पुलिस ने जमकर कहर बरपाया। धरना स्थल से हट जाने की हिदायत के बाद भी जब लोग टस से मस नहीं हुए तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिससे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सहित 40 लोग घायल हो गए। लोग गिरते पड़ते गलियों की ओर भागे। थोड़ी देर बाद गलियों से बाहर निकले लोगों ने पुलिस पर पथराव किर दिया, जिससे जीप व पीएसी की ट्रक क्षतिग्रस्त हो गया। देर रात पुलिस ने जबरन प्रतिमा को लक्ष्मी कुंड में विसर्जित करा दिया। पुलिस के बल प्रयोग में घायल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सहित अन्य लोगों को मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। बुधवार को पुलिस ने दशाश्वमेध थाने में दो मुकदमे दर्ज किए हैं। एक हजार अज्ञात समेत 24 लोगों को नामजद किया गया है। दस आरोपियों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (षष्ठम) की अदालत में बुधवार को पेश किया जहां से सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
न्यायिक जांच की मांग
गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा में गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर मंगलवार की रात पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की घटना निंदनीय है। पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। इसकी न्यायिक जांच हो। हालांकि उन्होंने गंगा में मूर्ति विसर्जन को नकारा। कहा यह अनुचित है। धर्मशास्त्र भी इसकी अनुमति नहीं देते।
दोषियों पर कार्रवाई हो
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने वाराणसी में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर साधु-संतों को बेरहमी से लाठियों से पीटे जाने की भत्र्सना की और मुख्यमंत्री से चुप्पी तोडऩे को कहा। वाजपेयी ने कहा कि वाराणसी प्रशासन का कृत्य दंगे की साजिश रचना है। मूर्तियों का नदियों में विसर्जन सनातन परम्परा है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन को मूर्ति विसर्जन का वैकल्पिक समाधान करना था परन्तु साधु संतों पर लाठीचार्ज कर घिनौना कार्य किया गया। घटना पर मुख्यमंत्री की चुप्पी व दोषी अधिकारियों पर तत्काल कड़ी कार्रवाई नहीं करना आश्चर्यजनक है।
बटुकों पर लाठीचार्ज सही नहीं
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा मैं संत हूं क्षमाशील हूं किसी से कोई शिकायत नहीं लेकिन बटुकों पर लाठीचार्ज यानी मारना सही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन मेरी हत्या कराना चाहता था लेकिन बटुकों ने बचा लिया। इसलिए ठीक होने के बाद पैदल ही काशी की परिक्रमा के लिए निकलूंगा। बोले जनमत संग्रह कर गंगा में प्रतिमा विसर्जन के फैसले के खिलाफ शुरू करुंगा आंदोलन। गंगा में गिर रहे नालो और गन्दगी को रोकने का काम न कर प्रशासन सिर्फ धर्म से खिलवाड़ कर रहा है। वह आज पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कि मुझे और भक्तों की पीटा गया वो सब क्षमा के योग्य है लेकिन बटुकों को पीटा और घसीटा गया वो अन्याय है। प्रशासन ने कोई वार्ता या पहल करने की बजाय सीधे लोगों को निर्ममता से पीटा। सरकार को यदि गंगा की चिंता है तो टिहरी से पानी खोले।
हत्या करना चाहता था प्रशासन
पुलिसिया कार्रवाई के शिकार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने प्रशासन पर अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है। अस्पताल में भर्ती संत ने कहा कि पूरी योजना के तहत उन पर, बटुकों और जनता पर लाठियां बरसाई गईं। बटुकों ने बचाया न होता तो प्रशासन साजिश में सफल हो जाता। स्वस्थ होते ही वह पैदल काशी परिक्रमा शुरू करेंगे। गंगा में मूर्ति विसर्जन पर लगाई गई रोक के खिलाफ जनांदोलन शुरू किया जाएगा। वहीं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि लाठीचार्ज की घटना निंदनीय है। इसकी न्यायिक जांच हो। हालांकि उन्होंने गंगा में मूर्ति विसर्जन को नकारा। लाठीचार्ज के विरोध में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने जिला प्रशासन का पुतला फूंका और जमकर नारेबाजी की।
संतो के साथ आए छात्र
गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर संत समाज पर लाठीचार्ज के विरोध में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र भी उतर आए हैं। छात्रों ने परिसर के गेट के समक्ष प्रशासन का पुतला फूंका और विरोध में नारेबाजी की। वहीं लाठीचार्ज के विरोध में बीएचयू मालवीय प्रतिमा के समक्ष विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता शाम को धरने पर बैठने को तैयार हो गए। ।