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आरक्षण बहाली के लिए सपा के 58 दलित विधायक विरोध करें : पुनिया

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष सांसद पीएल पुनिया ने पदोन्नति में आरक्षण पर रोक के लिए सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण दलितों का संवैधानिक अधिकार है लेकिन सरकार द्वारा सही आंकड़े नहीं पेश करने से उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 08:30 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 08:33 PM (IST)
आरक्षण बहाली के लिए सपा के 58 दलित विधायक विरोध करें : पुनिया

लखनऊ। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष सांसद पीएल पुनिया ने पदोन्नति में आरक्षण पर रोक के लिए सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण दलितों का संवैधानिक अधिकार है लेकिन सरकार द्वारा सही आंकड़े नहीं पेश करने से उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

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उन्होंने दलित समाज के लोगों से सपा के 58 दलित विधायकों पर पदोन्नति में आरक्षण की बहाली के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया है। कहा कि दलित समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले इन विधायकों को चाहिए कि वह सरकार का इस मुद्दे पर विरोध करें। विधायक विरोध करें तो सपा सरकार गिर जाएगी। अगर वह ऐसा नहीं करते तो समाज को चाहिए कि इन विधायकों को अपराधी घोषित करके इनकी सच्चाई बताए। विधायकों को चाहिए कि राजनीति से पहले समाज की चिंता करें।

पुनिया रविवार को यहां उद्यान विभाग के सभागार में सेवास्तंभ संगठन की तरफ से दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक स्तर एवं जीवन स्तर में सुधार के लिए आयोजित सेमिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दलित समाज को सामाजिक व आर्थिक गैर बराबरी के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है। हमें डॉ. भीमराव अंबेडकर के संगठित रहने के बताए रास्ते पर चलते हुए शिक्षित होने की जरूरत है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता का जिक्र करते हुए उन्होंने दोहरी शिक्षा नीति को एक बड़ी चुनौती भी बताया।

सेमिनार को संबोधित करते हुए पूर्व न्यायाधीश खेमकरन ने कहा कि पिछले कुछ समय में न्यायालय द्वारा जो फैसले आए हैं उनसे आरक्षण को धक्का लगा है। आगे भी न्यायालय से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन की सभी ताकतों को एकजुट होकर कार्यपालिका पर दबाव बनाने के लिए रणनीति बनानी होगी। पूर्व डीजीपी श्रीराम अरुण ने दलित समाज के लोगों को सामूहिक नेतृत्व से आवाज बुलंद करने की बात करते हुए एकजुटता की अपील की। उन्होंने शिक्षा के गुणात्मक सुधार, एक समान शिक्षा का अधिकार, आजीविका के क्षेत्र में सुधार व घुमंतू प्रजाति के लोगों का सामाजिक जीवन स्तर सुधार पर विशेष जोर दिया। सेमिनार को आरडी निमेष, एसआर दारापुरी, डॉ. एनके मोरे, सीएल राजन सहित कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।


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