Move to Jagran APP

अधिवक्ता नूतन ठाकुर से इलाहाबाद कचहरी में अभद्रता

सामाजिक कार्यकर्ता तथा आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर के साथ आज इलाहाबाद में अभद्रता की गई। इलाहाबाद में आज नूतन ठाकुर दारोगा शैलेन्द्र सिंह की जमानत याचिका दाखिल करने पहुंची थी। इनके आने की खबर पर ही वकील एकत्र हो गये थे और उनको याचिका दाखिल नहीं करने दी। नूतन ठाकुर

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2015 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2015 09:47 PM (IST)
अधिवक्ता नूतन ठाकुर से इलाहाबाद कचहरी में अभद्रता

लखनऊ। अधिवक्ता नबी अहमद की हत्या के आरोप में जेल में बंद दारोगा शैलेन्द्र सिंह की जमानत के लिए आज विरोध के चलते अर्जी दाखिल नहीं हो सकी। अर्जी दाखिल करने पहुंचीं सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के साथ इलाहाबाद जिला न्यायालय में वकीलों ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए धक्का मुक्की की। कागजात भी छीन कर फाडऩे की कोशिश की गई। पुलिस वाले मूकदर्शक बने रहे। घटना से क्षुब्ध नूतन ने कर्नलगंज थाने में अज्ञात अधिवक्ताओं के खिलाफ तहरीर दी है।

loksabha election banner

जेल में बंद दारोगा शैलेन्द्र सिंह की गिरफ्तारी के तीन माह बाद भी जमानत नहीं हो सकी है। दरअसल कचहरी के अधिवक्ताओं ने इस मुकदमे में आरोपी की पैरवी नहीं करने की बात तय की हुई है। ऐसे में आरोपी दारोगा की पत्नी सपना ने डॉ. नूतन ठाकुर से संपर्क किया था। गुरुवार सुबह नूतन ठाकुर दारोगा की पत्नी सपना और उनके मामा के साथ कोर्ट पहुंचीं तो उन्हें कई अधिवक्ताओं ने घेर लिया। अधिवक्ताओं ने इलाहाबाद जिला अधिवक्ता संघ का वकालतनामा लाने की बात कही। इससे नूतन भयवश बाहर निकल गईं। बाद में उन्होंने सपना के जरिए कागजात तैयार करवाया। कुछ देर बाद वह पुलिस अभिरक्षा में सीजेएम कोर्ट पहुंची तो वहां भी उनसे बदसलूकी हुई। नूतन का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत जिलाधिकारी, एसएसपी और जिला जज से करते हुए पर्याप्त सुरक्षा मांगी है। वह शुक्रवार को जमानत याचिका दाखिल करेंगी।

अभियोजन की स्वीकृति के बिना दाखिल की चार्जशीट

दारोगा शैलेन्द्र मामले में आइजी सिविल डिफेंस अमिताभ ठाकुर ने इलाहाबाद पुलिस को कटघरे में खड़ा किया है। शुक्रवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कर्नलगंज पुलिस ने बिना अभियोजन की स्वीकृति के ही चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। सीआरपीसी की धारा 197 न लगाकर पुलिस यह बता रही कि दारोगा सरकारी कार्य से कोर्ट नहीं गए थे। सच्चाई यह है कि वह एक मामले में गवाही देने गए थे। केस डायरी में भी यही लिखा गया है। पुलिस के ऐसा नहीं करने से सरकार की तरफ से मुकदमे की पैरवी नहीं की जा रही है। लापरवाही करने वाले पुलिस कर्मियों की शिकायत शासन से करेंगे और चार्जशीट पर पुन: विचार करने की मांग करेंगे। यह भी कहा कि सिपाही अजय नागर को गोली मारने वालों की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.