काशी में फोरेंसिक विश्वविद्यालय की तैयारी
लखनऊ। काशी में फोरेंसिक विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर फोरे
लखनऊ। काशी में फोरेंसिक विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर फोरेंसिक साइंस लैब विभाग ने इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय व गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है। विश्वविद्यालय की मंजूरी केंद्र सरकार को ही देनी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि काशी में फोरेंसिक विश्वविद्यालय खोलने के प्रस्ताव पर शीघ्र ही केंद्र सरकार की मुहर लग जाएगी। फोरेंसिक साइंस लैब विभाग के निदेशक डा. एसबी उपाध्याय ने 'दैनिक जागरण' से बातचीत में बताया कि लगभग बारह सौ करोड़ रुपये की लागत से विश्वविद्यालय के लिए वाराणसी के कपसेठी और भदोही जिले के बार्डर पर जमीन देखी जा चुकी है। यह जमीन स्पेशल इकोनामिक जोन (सेज) की है जिसके लिए उनके विभाग से अनुमति मिल चुकी है।
विश्वविद्यालय में पैंसठ विभागों के जरिए मुख्यत: तीन विषयों यातायात, आतंरिक सुरक्षा और फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई होगी। सरकार की तरफ से यह देश का दूसरा फोरेंसिक विश्वविद्यालय होगा। पहला फोरेंसिक विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र गुजरात में है।
यातायात प्रबंधन : बनारस हो या देश के अन्य शहर, सभी जगहों पर ट्रैफिक का हाल बुरा है। यातायात प्रबंधन के लिए देश का कोई शिक्षण संस्थान पढ़ाई अथवा प्रशिक्षण नहीं देता। विश्वविद्यालय खुलने से यहां पर सरकारी व गैर सरकारी संस्था से जुड़े लोग यातायात प्रबंधन के गुर सीख सकेंगे।
आतंरिक सुरक्षा : भारत समेत दुनिया के अधिकतर देश इस समय आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं। ऐसे में आतंरिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण विषय है। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान आइएएस और आइपीएस के अलावा पुलिस महकमे से जुड़े लोगों के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के लिए यह विश्वविद्यालय रामबाण साबित होगा।
अपराधी तक पहुंचना आसान : अभी तक पुलिस विभाग की साइबर और सर्विलांस से जुड़ी टीम को फोरेंसिक साइंस विभाग मुरादाबाद में दो से तीन माह का प्रशिक्षण देता है जो नाकाफी है। विवि खुलने से पुलिस कर्मी और दक्ष होंगे जिससे वारदात को सुलझाने के साथ अपराधी को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
विदेश में नहीं होगी किरकिरी : देश के आइएएस और आइपीएस समेत अन्य अधिकारी यातायात और आतंरिक सुरक्षा की ट्रेनिंग के लिए जब विदेश का दौरा करते हैं तब वहां के अधिकारी उनसे संबंधित विषयों की पढ़ाई के बाबत डिग्री पूछते हैं जो उनके पास नहीं होती है। विवि के खुलने से आइएएस और आइपीएस इन विषयों पर डिग्री ले सकेंगे।