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मुख्यमंत्री की घोषणा : अंबेडकर निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश

आज बाबासाहब डा.भीम राव अंबेडकर जयंती पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छह दिसंबर को अंबेडकर के निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि अंबेडकर निर्वाण दिवस पर बसपा शासनकाल में घोषित सार्वजनिक अवकाश को सत्ता में आने पर सपा सरकार ने ही रद किया था।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2015 07:21 PM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2015 08:33 PM (IST)
मुख्यमंत्री की घोषणा : अंबेडकर निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश

लखनऊ। आज बाबासाहब डा.भीम राव अंबेडकर जयंती पर भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी अंबेडकर का राजनीतिकरण करती नजर आई। सपा सरकार ने अंबेडकर निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अावकाश की घोषणा की। बसपा ने इस अवकाश को सुरक्षित क्षेत्र के विधायकों के दबाव में लिया फैसला बताया और भाजपा ने बसपा पर अंबेडकर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। भाजपा ने अंबेडकर जयंती को सामाजिक समरस्ता दिवस के रूप में मनाया।

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निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने छह दिसंबर को अंबेडकर के निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि अंबेडकर निर्वाण दिवस पर बसपा शासनकाल में घोषित सार्वजनिक अवकाश को सत्ता में आने पर सपा सरकार ने ही रद किया था। आज यहां मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचितों को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए बाबा साहब के प्रयासों की सराहना की। पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने सत्ता मे आने के बाद बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की जयंती पर 15 मार्च को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी जो पहली बार 2008 में लागू हुआ। इसके बाद मायावती सरकार ने अंबेडकर और कांशीराम दोनों के निर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किये। वर्ष 2009 से अंबेडकर के निर्वाण दिवस पर छह दिसंबर और कांशीराम के निर्वाण दिवस पर नौ अक्टूबर को सार्वजनिक होने लगे। यह व्यवस्था 2011 तक चली। सत्ता में आने पर अखिलेश सरकार ने इन तीनों सार्वजनिक अवकाशों को खत्म कर दिया था।

दबाव में घोषित किया अवकाश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने पर बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरक्षित क्षेत्र से चुने गए सपा विधायकों के दबाव में यह फैसला किया है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में छह दिसबंर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था लेकिन सपा सरकार में इसे समाप्त कर दिया गया। मायावती ने कहा कि सपा के आरक्षित सीटों से जीते विधायकों ने दबाव बनाया कि अंबेडकर के नाम पर बंद की गयी योजनाएं और अवकाश शुरू किए जाएं अन्यथा वे बसपा में चले जायेंगे। इस चेतावनी के बाद सपा सरकार को मजबूरी में यह फैसला करना पड़ा।

अंबेडकर जयंती का राजनीतिकरण

भारतीय जनता पार्टी ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर अंबेडकर जयंती का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि विरोधियों को अम्बेडकर जयंती मनाने के नाम पर राजनीति न करने की सलाह देने वाली मायावती खुद गैर सियासी मंच से मुसलमानों को गुमराह न होने और अपनी पार्टी के पक्ष में वोट करने की बात करती नजर आईं। भाजपा ने पूछा है कि क्या महापुरुषों पर किसी दल विशेष का अधिकार है। भाजपा का प्रयास है कि बाबा साहब के जन्म दिवस पर उनकी नीतियों व उनके विचारों और समाजिक समरस्ता के लिए किये गये कार्यों से समाज को अवगत कराया जाए। इसलिए भाजपा डा. अम्बेडकर के जन्म दिवस को सामाजिक समरस्ता दिवस के रूप में मना रही है। भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर छूआछूत जैसी कुप्रथा को दूर करने के लिए लिए प्रयासरत है जबकि मायावती अंबेडकर को एक दायरे में बांधना चाहती हैं। ऐसे में हर कोई समझ सकता है कि कौन अंबेडकर के विशाल कद को छोटा कर रहा है।


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