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मौसम ने फिर बदली करवट, किसान हताश

बेमौसम बारिश तथा ओलावृष्टि से हुए नुकसान से अभी सूबे का किसान उबर भी नहीं पाया था कि कल रात से मौसम ने फिर करवट बदल ली है। मध्य तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जगह-जगह पर तेज हवा के साथ बारिश ने अन्नदाता के माथे पर चिंता की बड़ी लकीरें

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 04:16 PM (IST)
मौसम ने फिर बदली करवट, किसान हताश

लखनऊ। बेमौसम बारिश तथा ओलावृष्टि से हुए नुकसान से अभी सूबे का किसान उबर भी नहीं पाया था कि कल रात से मौसम ने फिर करवट बदल ली है। मध्य तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जगह-जगह पर तेज हवा के साथ बारिश ने अन्नदाता के माथे पर चिंता की बड़ी लकीरें खींच दी है।

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राजधानी लखनऊ के साथ ही हरदोई, उन्नाव, कन्नौज, अमेठी, सीतापुर, बरेली, पीलीभीत तथा अन्य जिलों में कल रात से शुरू हुई बारिश अभी तक जारी है। अधिकांश जगह पर आकाश पर कालेज बादल छाए हुए हैं। हरदोई में तेज हवा के साथ आज सुबह काफी तेज गति से बारिश हुई। इसके साथ ही उन्नाव ,कन्नौज व अमेठी में तेज गति से बारिश हुई है। लखनऊ में कल रात से ही बादलों ने आसमान को घेर रखा था। सुबह हल्की बारिश ने मौसम को ठंडा कर दिया। महोबा में तेज हवा के साथ पानी बरसा तो कन्नौज में कई जगह पर ओले भी गिरे हैं। फैजाबाद में भी मौसम का मिजाज बिगड़ा है। जगह-जगह पर हल्की बारिश जारी है।

बरेली, पीलीभीत, बदायूं तथा आसपास के क्षेत्र में तेज गति की हवा के साथ पानी बरस रहा है। पीलीभीत में तो बरेली मार्ग पर बड़ा पेड़ गिर जाते से यातायात काफी बाधित है। वाहनों की लंबी कतार लगने से आदमी जाम में फंसा हुआ है।

गोरखपुर में अचानक मौसम बदल गया। दिन में काली घटा ऐसी छायी कि सुबह करीब नौ बजे तक रात जैसा अंधेरा हो गया। तेज हवाओं के साथ गोरखपुर-बस्ती मंडल में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। पानी अब भी बरस रहा है। किसान उदास है। उसकी कमाई पानी में मिलती हुई जाते दिखाई पड़ रही है।

सीतापुर में कल देर रात से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला आज भी जारी है। बारिश से गेहूं, सरसों, लाही के साथ ही दलहनी, तिलहनी फसलों के साथ ही लता वर्गीय सब्जियों को भारी नुकसान होने का अनुमान है। साथ ही लखीमपुर खीरी व अंबेडकरनगर में भी किसान काफी परेशान है।

गरज रहे बादल तड़प रहे किसान

उत्तर प्रदेश में बीते हफ्ते बारिश का कहर झेलने वाला किसान एक बार फिर भयभीत है। जैसे-जैसे बादल गरज रहे हैं, वैसे-वैसे किसान की तड़प भी बढ़ती जा रही है। उसे किसी तरह से सुख कर फिर तैयार हो रही गेंहूं तथा सरसों की फसल की चिंता सता रही है। उसके माथे पर चिंता की लकीरें गहरा रही हैं। तेज बारिश से फसलों को फिर बड़ा नुकसान होगा। किसानों के सामने बर्बादी के सिवा अब कुछ नहीं बचा है।


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