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केन-बेतवा लिंक : मप्र ने उप्र से मांगी जल उपयोग की रिपोर्ट

बुंदेलखंड के लिए लाइफ लाइन मानी जा रही केन-बेतवा लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने की सरकारी कवायद तेज होती जा रही है। अब मध्य प्रदेश सरकार ने केन नदी से उत्तर प्रदेश को मिलने वाले पानी का हिसाब मांगा है। रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बेतवा में आने

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2015 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2015 08:00 PM (IST)
केन-बेतवा लिंक : मप्र ने उप्र से मांगी जल उपयोग की रिपोर्ट

लखनऊ। बुंदेलखंड के लिए लाइफ लाइन मानी जा रही केन-बेतवा लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने की सरकारी कवायद तेज होती जा रही है। अब मध्य प्रदेश सरकार ने केन नदी से उत्तर प्रदेश को मिलने वाले पानी का हिसाब मांगा है। रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि बेतवा में आने वाले पानी से उत्तर प्रदेश के कितने क्षेत्रफल की सिंचाई होगी और कितना पानी पीने के लिए उपयोग किया जाएगा। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने इसका आकलन लगभग तैयार कर लिया है।

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केन-बेतवा को जोडऩे के लिए लगभग 10 साल पहले बनाई गई परियोजना को पंख लग गए हैं। चूंकि परियोजना का विस्तार मध्य प्रदेश के छतरपुर व पन्ना क्षेत्र में होना है, इसलिए मध्य प्रदेश प्रशासन परियोजना को लेकर अधिक गम्भीरता दिखा रहा है। योजना के तहत केन नदी से लगभग 1700 एमसीएम (मिलियन क्यूसिक मीटर) पानी बेतवा में छोड़ा जाना है। प्रथम चरण में छतरपुर के लगभग 100 साल पुराने गंगऊ डैम से ढाई किलोमीटर ऊपर 77 मीटर ऊंचा नया दोधन डैम बनाया जाएगा। यहां से 221 किलोमीटर लम्बी नहर बनाई जाएगी, जिससे केन का पानी बरुआसागर तालाब में डाला जाएगा। टर्मिनल जलाशय के रूप में बरुआसागर तालाब का उपयोग किया जाएगा, जहां से बेतवा नदी में पानी पहुंचाया जाएगा। नहर के रास्ते में सिंचाई व पेयजल की आपूर्ति करते हुए बरुआसागर तक पहुंचते-पहुंचते पानी की मात्रा 591 एमसीएम बचेगी, जिसे बेतवा नदी में डाला जाएगा। दोधन डैम से छतरपुर व पन्ना रिजर्व का काफी हिस्सा प्रभावित होगा। प्रारम्भिक सर्वे के अनुसार इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए मध्य प्रदेश का लगभग 9000 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित होगा। डूब क्षेत्र में 1585 काश्तकार परिवार आएंगे, जिनके 7,224 लोगों को अपना आशियाना छोडऩा पड़ेगा। वहीं पन्ना टाइगर रि$जर्व की भी 414 हेक्टेयर $जमीन डूब क्षेत्र में आ जाएगी। परियोजना को आकार देने के लिए वन विभाग की अनापत्ति लेना आवश्यक है और इसके लिए दोनों प्रदेशों को होने वाले लाभ की रिपोर्ट भी स्पष्ट होनी चाहिए। इसे देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण से उत्तर प्रदेश क्षेत्र को मिलने वाले पानी के उपयोग की रिपोर्ट मांगी है। राष्ट्रीय जल विकास ने इसका आकलन कर लिया है। बताया गया है कि नहर से उत्तर प्रदेश के हिस्से की लगभग 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाएगा तथा 49 एमसीएम पानी पेयजल आपूर्ति में प्रयोग किया जाएगा। इस पानी का लाभ महोबा, बांदा और झांसी को सीधे तौर पर होगा।


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