आफत की बारिश: फसल संग किसानों के चेहरे मुरझाये
मौसम ने आज उत्तर प्रदेश में भयावह तस्वीर उकेर दी। बेमौसम बरसात से फसल की बर्बादी के साथ किसानों के चेहरे मुरझा गए। तिलहन, गेहूं, आलू और दलहन समेत लगभग सभी फसलों को व्यापक नुकसान की आशंका है। उन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं जिन पर कर्ज
लखनऊ। मौसम ने आज उत्तर प्रदेश में भयावह तस्वीर उकेर दी। बेमौसम बरसात से फसल की बर्बादी के साथ किसानों के चेहरे मुरझा गए। तिलहन, गेहूं, आलू और दलहन समेत लगभग सभी फसलों को व्यापक नुकसान की आशंका है। उन किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं जिन पर कर्ज लदा है। बुंदेलखंड में फसल बर्बादी देख एक किसान की सदमे से मौत हो गई, वहीं कर्ज में डूबे दूसरे किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी।
बेमौसम बारिश ने रुलाया: पहले ही तमाम समस्याओं से जूझ रहे किसानों को बेमौसम बरसात ने रविवार को खूब रुलाया। बुंदेलखंड, कानपुर, फर्रुखाबाद, इटावा, हरदोई, फतेहपुर व कन्नौज समेत कई जिलों में शनिवार रात से ही हो रही बारिश रविवार को भी दिनभर रुक रुक कर होती रही। वर्षा के कारण आलू की बेल सड़ सकती है। अगैती गेहूं की फसल तेज हवाओं से गिर गयी हैं। अनवरत बारिश से दहलनी व तिलहनी फसलों का भारी नुकसान हुआ। चना, मटर व मसूर के साथ ही अब गेहूं की फसल में भी संकट खड़ा हो गया है। उधर वाराणसी, इलाहाबाद व गोरखपुर समेत पूर्वांचल के जिलों में भी बारिश से फसलों को काफी नुकसान पहुंचा। पश्चिमी उप्र में बीती रात से तेज बयार के साथ हो रही बारिश से गेंहू की फसल खेत में ही बिछ गई। आलू की फसल भी प्रभावित हुई है। बरेली में ओलावृष्टि के बाद अब वर्षा के कारण तमाम फसलों को जबरदस्त नुकसान हुआ है। मुरादाबाद मंडल में कृषि महकमा 20-30 फीसद जबकि किसान 50 फीसद से अधिक फसल नुकसान होने की बात कह रहे हैं।
तीन किसान न सह पाए बर्बादी: हमीरपुर में भरुआ सुमेरपुर के परेहटा निवासी राजाभइया तिवारी (68) खेतों में फसल बर्बाद देख सदमे आए गए। घर वापस आने पर उनकी मौत हो गई। इसी तरह उन्नाव में औरास थाना क्षेत्र के गांव पूरा चांद निवासी किसान वीरेंद्र ङ्क्षसह का दिल का दौरा पडऩे से खेत पर ही मौत हो गई। हमीरपुर में कुनेहटा गांव के किसान इंद्रपाल ने बढ़ते कर्ज और मौसम की मार से परेशान होकर खेत में फांसी लगा ली। लड़के की शादी को उसने साहूकारों से तीन लाख रुपये और इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवा कर डेढ़ लाख रुपया ले रखा था। बैंक में पैसा जमा करने का दबाव था। इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी लेकिन मौसम ने ऐसा होने नहीं दिया। इस बाबत मौदहा तहसील के एसडीएम प्रवीणा अग्रवाल ने बताया कि घटना की जानकारी से इन्कार किया। गौरतलब है कि पिछले वर्ष बुंदेलखंड में कर्ज से करीब पांच दर्जन किसानों की जान गई। इनमें एक दर्जन किसान बांदा जिले के हैं। हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की।
जनजीवन पर असर : लगातार बारिश ने जनजीवन भी व्यापक असर डाला। मौसम ठंडा होने से गरम कपड़े फिर निकल आए। घरों से बाहर लोग कम ही निकले। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। फर्रुखाबाद में औसतन 5.3 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। मेरठ में 27, मुजफ्फनगर में 22.6, बागपत में 11, मुरादाबाद में 20, अलीगढ़ में 6.8 मिमी बारिश दर्ज की गई। बागपत और सहारनपुर के कुछ स्थानों पर हल्की ओलावृष्टि भी हुई। वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ व कानपुर समेत कई शहरों में बारिश का प्रभाव जनजीवन पर दिखा।
मौसम से किसान हलकान: फागुन में बने मानसून जैसे हालात किसानों के लिए परेशानी का सबब है। पश्चिमी उप्र में ओलावृष्टि से मेरठ, बुलंदशहर, हापुड, गाजियाबाद, बरेली, आंवला, पीलीभीत, बदायंू एवं इटावा जैसे क्षेत्रों में फसलें प्रभावित हुईं। आलू खोदाई कार्य बाधित रहेगा। नुकसान गेहूं को भी कम नहीं, फसल खेतों में चटाई की तरह बिछ गयी है। कृषि विशेषज्ञ डा.एसके सिंह का कहना है कि जिन क्षेत्रों में गेहूं बाली दूध से भरी होगी वहां नुकसान अधिक होगा। इन दिनों सरसों भी पक कर कटने को तैयार थी मगर तेज हवा व बरसात में फसल गिर गई और ओलावृष्टि वाले क्षेत्रों में फलियां खराब हो जाएंगी। सोनभद्र, कानपुर, उरई, सुलतानपुर, फर्रूखाबाद, शामली और सहारनपुर आदि जिलों में तेज बरसात से दस से बीस फीसद नुकसान होने का आकलन किया जा रहा है। आम के बागों में क्षति की आशंका है। पूर्व उद्यान अधिकारी उदय प्रताप सिंह का कहना है कि मौसम की खराबी से बौर झडऩे और बीमारियां लगने का खतरा बनता है।
महंगी होंगी सब्जियां: भारी वर्षा के कारण सब्जियों की फसल हानि होती है। टमाटर के अलावा भिंडी, लौकी, तोरई व गोभी आदि फसल खराब होने लगती है। सब्जियों के दामों में इजाफा होने की की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।