वाराणसी में विदेशी चेहरों पर सजे मानस के भाव
भावों की प्रवाहमान गंगा के आगे भाषा की दीवारें इस कदर ढहीं कि आंखों से होते सीधे हृदय की कोटरों में समा गईं। घंटों की अवधि कुछ यूं सिमटी मानों सेकेंडों में मर्यादा पुरुषोत्तम की समूची लीला दिखा गई। कुछ ऐसा ही दृश्य रहा वाराणसी में जहां इंडोनेशियाई कलाकारों ने
लखनऊ। भावों की प्रवाहमान गंगा के आगे भाषा की दीवारें इस कदर ढहीं कि आंखों से होते सीधे हृदय की कोटरों में समा गईं। घंटों की अवधि कुछ यूं सिमटी मानों सेकेंडों में मर्यादा पुरुषोत्तम की समूची लीला दिखा गई। कुछ ऐसा ही दृश्य रहा वाराणसी में जहां इंडोनेशियाई कलाकारों ने बैले के जरिए रामायण के प्रसंग जीवंत किए। सीता हरण के प्रसंग का नृत्य नाटिका से मंचन किया।
मौका था भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद व नागरी नाटक मंडली न्यास की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय रामायण मेला 2015 का। इसकी पहली कड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। शब्द भले ही न समझ में आया लेकिन विदिया अप्सरी की भाव भंगिमाओं ने सीता की भावनाओं को दिखाया ही नहीं वरन् आंखों के जरिए सब कुछ सुनाया। विवेक सोमे ने राम की विरह वेदना से साक्षात्कार कराया तो हरजंटो के अभिनय में जटायु का जीवट प्रयास मंच पर उतर आया। गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके समूह के सदस्यों ने सशक्त अदाकारी से विभोर भी किया। महापौर व अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद अध्यक्ष रामगोपाल मोहले व महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. पी नाग ने दीप जलाकर महोत्सव का उद्घाटन किया। स्वागत डा. अजीत सैगल व अनुराग सिंह ने किया।