ब्रज में फिर लहराएंगे कदंब, पीलू और तमाल
मथुरा जिले के ब्रज में एक बार फिर पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत से जुड़े कदंब, पीलू और तमाल के वृक्षों की सघन छाया कान्हा-युग का अहसास कराएगी। ब्रज में गायब तीनों प्रजाति के पुराने वृक्षों को बचाने की पहल वन विभाग ने शुरू कर दी है। नर्सरियों में दो-दो हजार
लखनऊ। मथुरा जिले के ब्रज में एक बार फिर पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत से जुड़े कदंब, पीलू और तमाल के वृक्षों की सघन छाया कान्हा-युग का अहसास कराएगी। ब्रज में गायब तीनों प्रजाति के पुराने वृक्षों को बचाने की पहल वन विभाग ने शुरू कर दी है। नर्सरियों में दो-दो हजार नए पौधे उगाए जाएंगे। बरसना और गोवर्धन पर्वत पर पाए जाने वाले धौ के वृक्ष को भी योजना में शामिल किया गया है।
दरअसल, राधा-श्रीकृष्ण की लीलाओं में पीलू, कदंब और तमाल के वृक्षों का काफी जिक्र है, लेकिन अब ब्रज से तीनों ही प्रजाति के वृक्ष लगभग गायब होने के कगार पर हैं। दैनिक जागरण ने एक फरवरी के अंक में 'ब्रज से खत्म हो रहे कान्हा के कदंबÓ खबर प्रकाशित कर वन विभाग और प्रशासन का ध्यान खींचा था। मथुरा को हेरिटेज सिटी बनाने के प्रोजेक्ट में भी देसी कदंब, तमाल और पीलू को ब्रजधरा पर जिंदा रखने को स्थान नहीं दिया गया था।
आज डीएफओ महावीर सिंह कौजलगी ने बताया कि पौराणिक महत्व के तीनों ही प्रजाति के पौधों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। साथ ही मथुरा-बल्देव मार्ग समेत अन्य स्थानों पर खड़े प्राचीन देसी कदंब की स्थिति का पता किया जा रहा है। नंदगांव-बरसाना के मध्य कदंबखंडी और गोकुल, वृंदावन, महावन में भी पौधों की सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। डीएफओ ने बताया कि बल्देव, मथुरा, मांट, गोवर्धन और कोसीकलां की नर्सरियों में पीलू, कदंब और तमाल के नए पौधे उगाए जाएंगे। इसी प्रोजेक्ट में धौ के वृक्ष भी शामिल किए गए हैं। धौ के पौधे बरसाना और गोवर्धन पर्वत पर ही पाए गए हैं। नए पौधे दो-तीन साल में रोपने के लिए तैयार हो जाएंगे।