'कांग्रेसी गढ़' में भाजपा ने तलाशा 'घरका योद्धा'
लखनऊ। अमेठी में मौसम भले सर्द है, लेकिन सियासी हवा काफी गर्म है। शायद अमेठी की खासियत भी यही है। कां
लखनऊ। अमेठी में मौसम भले सर्द है, लेकिन सियासी हवा काफी गर्म है। शायद अमेठी की खासियत भी यही है। कांग्रेस या कहें कि गांधी- नेहरू परिवार के गढ़ में भाजपा ने इस बार दो-दो हाथ करने के लिए 'घर के ही योद्धा' की तलाश की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस से राज्यसभा सांसद डा. संजय सिंह के पुत्र अनंत विक्रम सिंह को पार्टी में शामिल कराने की बिसात बिछाकर भाजपा ने अमेठी का सियासी गढ़ जीतने की रणनीति तैयार की है। अनंत ने भी गुरुवार को मीडिया से 21 दिसंबर को अपने भाजपा में जाने की पुष्टि की। कहा कि भाजपा में शामिल होकर बुढ़ऊ महराज (दादा रणंजय सिंह) का सपना सच करेंगे।
अमेठी सियासत का वह केंद्र बिंदु है जिसे जीतने की चाहत हमेशा से ही हर दल की रही है। आम चुनाव 2014 के दिलचस्प मुकाबले में स्मृति ईरानी की हार के बाद भाजपा अमेठी को जीतने की जुगत में है। स्मृति को मोदी सरकार में मंत्री बना अमेठी के भी अच्छे दिनों की शुरुआत की बात कही गई। अमेठी में अग्निपीड़ितों को राहत सामग्री, साड़ियों का वितरण, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव गोद लेना इसी रणनीति का हिस्सा है। अब भाजपा ने कांग्रेस के सियासी दुर्ग में अमेठी राजघराने के अनंत विक्रम सिंह के रूप में दांव लगाया है। 1998 में पहली बार भाजपा राजघराने के सहारे ही अमेठी में कमल खिलाने में कामयाब हुई थी। तब डा. संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को शिकस्त देकर जीत दर्ज की थी।
जनता के आदेश का पालन : अनंत
अनंत विक्रम सिंह ने मीडिया से कहा कि वह 21 दिसंबर को लखनऊ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में दल बल के साथ पार्टी में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि अमेठी की जनता का आदेश था कि वह राजनीतिक पारी की शुरुआत करें। भाजपा जो दायित्व सौंपेगी, उसे पूरा करेंगे। अनंत विक्रम ने कहा कि जनसंघ में शामिल होकर जनता की सेवा की बुनियाद दशकों पहले उनके दादा रणंजय सिंह ने रखी थी। जनसंघ से ही वह विधायक व सांसद बने थे। उन्हीं की विचारधारा को अब आगे ले जाऊंगा। अनंत के मुताबिक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकात वाजपेयी और संगठन मंत्री सुनील बंसल से उनकी बात हो चुकी है।